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कंदोरा बाँध कर, इरियावही प्रतिक्रमण करके खमा० प्रणि० 'इच्छा० पडिलेहणा पडिलेहावोजी' ऐसा कहना। गुरु कहें-'पडिलेहादेमि' तब ‘इच्छं' कहना । (९) फिर स्थापनाचार्यजी की पडिलेहणा करके (स्थापित हो तो पुनः स्थापित करके अथवा बड़े व्यक्तिके उत्तरीय वस्त्रका प्रतिलेखना करके ) खमा० प्रणि० 'इच्छा० उपधि-मुहपत्ती पडिलेहुं ?' ऐसा कहना । गुरु कहें-'पडिलेहेह' तब ‘इच्छं' कहकर मुहपत्तीकी पडिलेहणा करनी। (१०) फिर खमा० प्रणि० करके 'इच्छा० उपधि संदिसाहुं ?' ऐसा कहना। गुरु कहें-'संदिसावेपि' तब 'इच्छं' कहकर खमा० प्रणि० करके 'इच्छा० उपधि पडिलेहुं ?' ऐसा कहना । गुरु कहें-पडिलेहेह' तब 'इच्छं' कहकर शेष वस्त्रोंकी पडिलेहना करनी । (११) फिर एक आदमीको दण्डासन याच लेना चाहिये' और उसकी पडिलेहना करके, इरियावही पडिक्कमण करके काजा२ लेना चाहिये। फिर उसे शुद्ध कर, जीव-जन्तु मृत या जीवित हो तो उसकी तपास कर दंडासन द्वारा प्रमार्जन करते हुए निरवद्य भूमिका पर जाकर 'अणुजाणह जस्सुग्गहो' कहकर काजा परठवना और तीनबार 'वोसिरे' कहना। (१२) फिर मूल स्थान पर आकर सबके साथ देव-वन्दन और सज्झाय करना।
१. वस्तु याचनेका अर्थ अन्य गृहस्थोंसे ‘यह वस्तु हम वापरते हैं। ऐसा आदेश लेनेका है। __२ काजामें सचित्त-एकेन्द्रिय ( अनाज तथा हरी वनस्पति ) तथा कलेवर निकले तो गुरुसे आलोयणा लेनी । त्रसजीव निकले तो यतना करनी।
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