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________________ ४९५ (६) फिर द्वादशावत-वन्दन करना और 'इच्छा० अब्भुट्ठिओ हं पत्तेअ-खामणेणं अभितर-पक्खिअं, खामेडं ? बोलकर आज्ञा एक (अंतो) पक्खस्स मिल जानेपर 'इच्छं' कहकर 'खामेमि पक्खिअं, एक ( अंतो ) पक्खस्स पन्नरस-राइ-दिअहाणं जं किंचि अपत्तिअं.' आदि पाठ बोलकर द्वादशावत-वन्दन करना । (७) फिर 'देवसिअ आलोइअ पडिक्कंता इच्छा० पक्खिअं पडिक्कमावेह ?' कहकर आदेश माँगना और गुरु कहें-‘सम्म पडिक्कमेह' फिर 'इच्छं' कहकर 'करेमि भन्ते' सूत्र तथा 'इच्छामि पडिककमिउं जो मे पक्खिओ.' आदि पाठ बोलना ! फिर खमा० प्रणि० करके 'इच्छा० पक्खि-सूत्र कढू' ऐसा कहकर साधु हो तो 'पक्खिसूत्र' कहें और साधु न हो तो श्रावक खड़े होकर तीन नमस्कारपूर्वक 'सावग-पडिक्कमण-सुत्त' ( वंदित्तु-सूत्र ) कहें। (८) फिर 'सुय-देवया' की थोय कहनी। - (९) इसके पश्चात् नीचे बैठकर दाँया घुटना खड़ा रखकर, एक नमस्कार 'करेमि भन्ते' सूत्र तथा 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे पक्खिओ०' बोलकर 'सावग-पडिक्कमण-सुत्त' कहना। (१०) फिर 'करेमि भन्ते' सूत्र, 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे पक्खिओ०' 'तस्स उत्तरी' सूत्र, 'अन्नत्थ' सूत्र, बोलकर बारह 'लोगस्स' का काउस्सग्ग करना। ये लोगस्स 'चंदेसु निम्मलयरा' तक गिनना अथवा अड़तालीस नमस्कारका काउस्सग्ग करके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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