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कडकडा मोडया - तिरस्कार | शोक्यतणे विषे-सौतके सम्बन्धमें। कडाके किये ।
दृष्टि-विपर्यास कीधो - अनुचित तेनाहडप्पओगे० ॥ इस गाथा के दृष्टि डाली। अर्थके लिये देखो सूत्र ३२
घरघरणां-नाता-गन्धर्व विवाह । गाथा १४ ।
सुहणे-स्वप्नमें । अणमोकली - मालिकके भेजे
नट-नृत्य करनेवाला, वेष बनानेबिना।
वाला ( बहुरूपिया )। वहोरी-खरीद की। संबल-कलेवा, मार्ग में खाने योग्य विट - वेश्याका अनुचर, यार, सामान ।
कामुक। विरुद्ध - राज्यातिक्रम कीधो- हासु कोधु-हँसी की।
राज्यके नियमसे विरुद्ध वर्तन | धण-धन्न-खित्त-वत्थू० ॥ इस किया।
गाथाके अर्थ के लिये देखो सूत्र लेखे वरांस्यो - लेखेमें ठगा, ३२, गाथा १८ ।
हिसाबमें खोटा गिनाया। मर्छा लगे-मूर्छा आनेसे, माह सांटे लांच लोधी-अदला-बदली | होनेसे। ___करने में रिश्वत ली। गमणस्स य परिमाणे० ॥ इस कूडो करहो काढयो-झूठा बटाव गाथाके अर्थ के लिये देखो सूत्र - ( कटौती ) लिया ।
___३२, गाथा १९ । पासंग कूडां कोधां-झूठा धड़ा | किया।
पाठवणी-प्रस्थानके लिये रखनेकीपासंग-अर्थात् वजन करनेके
भेजनेकी वस्तु। लिये एक ओर रखा जाने- | एकगमा-एक ओर ।
वाला माप, धड़ा। हती-सम्बन्धी । अपरिग्गहिया इत्तर० ॥ इस | सचित्ते-पडिबद्ध०॥-इस गाथा
गाथाके अर्थके लिये देखो सूत्र | के अर्थके लिये देखो सूत्र ३२, ३२, गाथा १६ ।
गाथा २१ ।
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