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________________ ४४५ कडकडा मोडया - तिरस्कार | शोक्यतणे विषे-सौतके सम्बन्धमें। कडाके किये । दृष्टि-विपर्यास कीधो - अनुचित तेनाहडप्पओगे० ॥ इस गाथा के दृष्टि डाली। अर्थके लिये देखो सूत्र ३२ घरघरणां-नाता-गन्धर्व विवाह । गाथा १४ । सुहणे-स्वप्नमें । अणमोकली - मालिकके भेजे नट-नृत्य करनेवाला, वेष बनानेबिना। वाला ( बहुरूपिया )। वहोरी-खरीद की। संबल-कलेवा, मार्ग में खाने योग्य विट - वेश्याका अनुचर, यार, सामान । कामुक। विरुद्ध - राज्यातिक्रम कीधो- हासु कोधु-हँसी की। राज्यके नियमसे विरुद्ध वर्तन | धण-धन्न-खित्त-वत्थू० ॥ इस किया। गाथाके अर्थ के लिये देखो सूत्र लेखे वरांस्यो - लेखेमें ठगा, ३२, गाथा १८ । हिसाबमें खोटा गिनाया। मर्छा लगे-मूर्छा आनेसे, माह सांटे लांच लोधी-अदला-बदली | होनेसे। ___करने में रिश्वत ली। गमणस्स य परिमाणे० ॥ इस कूडो करहो काढयो-झूठा बटाव गाथाके अर्थ के लिये देखो सूत्र - ( कटौती ) लिया । ___३२, गाथा १९ । पासंग कूडां कोधां-झूठा धड़ा | किया। पाठवणी-प्रस्थानके लिये रखनेकीपासंग-अर्थात् वजन करनेके भेजनेकी वस्तु। लिये एक ओर रखा जाने- | एकगमा-एक ओर । वाला माप, धड़ा। हती-सम्बन्धी । अपरिग्गहिया इत्तर० ॥ इस | सचित्ते-पडिबद्ध०॥-इस गाथा गाथाके अर्थके लिये देखो सूत्र | के अर्थके लिये देखो सूत्र ३२, ३२, गाथा १६ । गाथा २१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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