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४३१ आघो-पाछी मोकली, वहाण-व्यवसाय कीधो, वर्षाकाले गामतरूं कीधु, भूमिका एकगमा संक्षेपी, बीजी गमा वधारी। __ छटे दिक्-परिमाण-व्रत-विषइओ अनेरो जे कोई अतिचार पक्ष-दिवसमांहि० ॥६॥
सातमे भोगोपभोग-विरमण-व्रते भोजन आश्री पांच अतिचार अने कर्म-हुंती पंदर अतिचार, एवं वीश अतिचार
सचित्ते पडिबद्धे०॥
सचित्त-नियम लीधे अधिक सचित्त लीधुं; अपक्वाहार, दुष्पक्वाहार, तुच्छौषधि-तणुं भक्षण कीg,ओळा, उंबी, पोंक, पापडी खाधां ।
सचित्त-दव्वे-विगई-वाणहँ-तंबोल-वत्थं-कुसुमेसु । वाहण-सयण-विलेवण' -बभ-दिसिन्हाण-भत्तेसु ॥
ए चौद नियम दिनगत रात्रिगत लीधा नहीं, लइने भांग्या, बावीश अभक्ष्य, बत्रोश अनन्तकायमांहि आदु, मूला, गाजर, पिंड, पिंडालु, कचूरो, सुरण, कुंळि आंबली, गलो, वाघरडां खाधां ।
वासी कठोळ, पोली रोटली, त्रण दिवसनुं ओदन लीधुं; मधु, महुडां, माखण, माटी, वेंगण, पीलु, पीचु, पंपोटा, विष, हिम, करहा, घोलवडां, अजाण्यां फल, टिंबरू, गुंदां, महोर, अथाj, आंबलबोर, कांचु मीठु, तिल, खसखस, कोठिंबडां खाधां, रात्रि-भोजन कीधां, लगभग-वेलाए वाळ कीg, दिवस विण ऊगे शीराव्या। __ तथा कर्मतः पन्नर कर्मादान-इंगाल-कम्मे, वण-कम्मे, साडीकम्मे, भाडी-कम्मे, फोडी-कम्मे, ए पांच कर्म; दंत-वाणिज्जे, लक्ख
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