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शब्दार्थलोगस्स-लोकका, चौदह राज- | सुपासं-श्रीसुपार्श्वनाथ नामके सातवें लोकोंमें ।
तीर्थङ्करको। उज्जोअगरे-प्रकाश करनेवालोंकी। जिणं-जिनको । धम्म-तित्थयरे-धर्मरूपी तीर्थ-च-और । का प्रवर्तन करनेवालोंकी।
वालाका। चंदप्पहं-श्रीचन्द्रप्रभ नामके आजिणे-जिनोंकी, राग-द्वेष विजेता
ठवें तीर्थङ्करको। ओंकी।
वंदे-वंदन करता हूँ। अरिहंते-अहंतोंकी,त्रिलोकपूज्योंकी।
सुविहि-श्रीसुविधिनाथ नामके नौवें कित्तिइस्सं-मैं स्तुति करता हूँ।
तीर्थङ्करको। चउवीसं पि-चौबीसों।
| च-अथवा। केवली-केवलज्ञान प्राप्त करने__ वालोंकी, केवली भगवानोंकी।
पुप्फदंतं-पुष्पदन्तको (श्रीसुविधिउसभं-श्रीऋषभदेव नामके प्रथम
नाथका यह दूसरा नाम है)। तीर्थङ्करको ।
सीअल-सिज्जंस-वासुपुज्जंअजिअं-श्रीअजितनाथ नामके दूसरे श्रीशीतलनाथ नामके दसवें तीर्थङ्करको।
तीर्थङ्करको, श्रीश्रेयांसनाथ च-और।
नामके ग्यारहवें तीर्थङ्करको वंदे-वन्दन करता हूँ।
तथा श्रीवासुपूज्य नामके संभवं-श्रीसम्भवनाथ नामके तीसरे बारहवें तीर्थङ्करको। __ तीर्थङ्करको ।
च-और । अभिणंदणं-श्रीअभिनन्दन नामके | विमलं-श्रीविमलनाथ नामके तेरहवें ___ चौथे तीर्थङ्करको।
तीर्थङ्करको। च-और।
'अणंतं-श्रीअनन्तनाथ नामके चौदसुमइं-श्रीसुमतिनाथ नामके पाँचवें हवें तीर्थङ्करको। ___ तीर्थङ्करको।
च-और। च-और।
जिणं-जिनको। पउमप्पह-श्रीपद्मप्रभ नामके छठे | धम्म-श्रीधर्मनाथ नामके पन्द्रहवें तीर्थङ्करको।
तीर्थङ्करको ।
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