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प्रश्न-उदाहरण के लिये ? उत्तर-एक आसनपर स्थिर रहना और वाणीके प्रवाहको रोक लेना, यह
ऐसी प्र है। प्रश्न-इसके अतिरिक्त अन्य कोई प्रवृत्ति हो सकती है ? उत्तर-नहीं। इसके अतिरिक्त इच्छा-पूर्वक कोई प्रवृत्ति नहीं हो सकती,
किन्तु शरीरकी कुछ प्रवृत्तियाँ ऐसी हैं कि, जो इच्छाके बिना भी होती रहती हैं, अर्थात् ऐसी प्रवृत्तियोंका कायोत्सर्गमें अपवाद रखा
जाता है। ऐसे अपवादको शास्त्रीय-भाषामें आगार कहते हैं । प्रश्न-कायोत्सर्ग में कितने आगार रखे जाते हैं ? उत्तर-सोलह । उनमें बारहके नाम तो स्पष्ट दिये हैं और चारके नाम ।
_ 'एवमाइएहि' पदसे समझने चाहिये । प्रश्न--सोलह आगारोंके नाम गिनाइये । उत्तर-(१) श्वास लेना, (२) श्वास छोड़ना, (३) खाँसी आना, (४)
छींक आना, (५) जम्हाई आना, (६) डकार आना, (७) अपानवायु सरना, (८) चक्कर आना, (९) पित्तका उभरना, (१०) सूक्ष्म रीतिसे अङ्ग हिलना, (११) सूक्ष्म रीतिसे कफ बलगमका आना (हिलना), (१२) सूक्ष्म रीतिसे दृष्टिका हिलना तथा, (१३) अग्निका फैल जाना, (१४) कोई हिंसक प्राणी समक्ष आजाये अथवा पञ्चेन्द्रिय प्राणीका छेदन-भेदन करने लगे, (१५) कोई चोर अथवा राजा वहाँ आकर कुकर्म करने लगे और (१६) सर्पदंश हो अथवा सर्पदंश होनेकी सम्भावना उत्पन्न हो, तो वह स्थान छोड़ देना। तात्पर्य यह कि
इतनी वस्तुओंसे कायोत्सर्गकी प्रतिज्ञाका भङ्ग होना नहीं गिना जाता। प्रश्न-कायोत्सर्गमें क्या किया जाता है ? उत्तर-धर्मध्यान ।
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