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तेथ - गुणेहिं तेज आदि गुणोंसे । पावइ न-बराबरी नहीं कर
सकता ।
तं - जिनकी ।
शरद्
नव-सरय- रवी - नवीन ऋतुका पूर्ण किरणोंसे प्रकाशित
होनेवाला सूर्य ।
।
रवी - सूर्य रूव-गुणेह-रूप आदि गुणोंसे । पावइ न - बराबरी नहीं कर
सकता ।
तं - जिनकी ।
तिअस-गण-वई - इन्द्र |
तिअस- देव |
वई - स्वामी । सार-गुणेहिं दृढ़ता आदि गुणोंसे ।
गण - समूह |
पावइ न- बराबरी नहीं कर सकता । तं - जिनकी ।
धरणि-धर - वई - मेरु पर्वत । तित्थवर - पवत्तयं श्रेष्ठ तीर्थ के
प्रवर्त्तक । तित्थ - तीर्थ । पवत्तय- प्रवर्तक ||
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तम - रय- रहियं - मोहनीय आदि कर्मोसे रहित ।
मोहनीय |
रय - रजस्, कर्म । रहिय
प्राज्ञ
रहित । धीर-जण थुयच्चियं पुरुषोंद्वारा स्तुति और पूजित । धीर-प्राज्ञ | जण - पुरुष । थुयच्चिय-स्तुत और पूजित ।
तम - अन्धकार,
चुय - कलि - कलुस - कलहको कालिमासे रहित ।
चुय-रहित । कलि-कलंह | कलुस - कालापन |
संति - सुह - पवत्तयं - शान्ति और शुभ (सुख) को फैलानेवाले । संति - शान्ति ।
पवत्तय- फैलानेवाला ।
तिगरण - पयओ-तीन
-
सुह-शुभ ।
संति - श्री शान्तिनाथके |
अहं - मैं |
महामुणि महामुनिके ।
|
प्रयत्नवान्, मन, वचन, कायाके प्रणिधानपूर्वक तिगरण - मन, वचन और काया ।
पयअ - प्रयत्नशील ।
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करणोंसे
और
सरणं उवणमे- शरणमें जाता हूँ, शरणको अङ्गीकृत करता हूँ ।
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