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________________ ३४६ तेथ - गुणेहिं तेज आदि गुणोंसे । पावइ न-बराबरी नहीं कर सकता । तं - जिनकी । शरद् नव-सरय- रवी - नवीन ऋतुका पूर्ण किरणोंसे प्रकाशित होनेवाला सूर्य । । रवी - सूर्य रूव-गुणेह-रूप आदि गुणोंसे । पावइ न - बराबरी नहीं कर सकता । तं - जिनकी । तिअस-गण-वई - इन्द्र | तिअस- देव | वई - स्वामी । सार-गुणेहिं दृढ़ता आदि गुणोंसे । गण - समूह | पावइ न- बराबरी नहीं कर सकता । तं - जिनकी । धरणि-धर - वई - मेरु पर्वत । तित्थवर - पवत्तयं श्रेष्ठ तीर्थ के प्रवर्त्तक । तित्थ - तीर्थ । पवत्तय- प्रवर्तक || Jain Education International तम - रय- रहियं - मोहनीय आदि कर्मोसे रहित । मोहनीय | रय - रजस्, कर्म । रहिय प्राज्ञ रहित । धीर-जण थुयच्चियं पुरुषोंद्वारा स्तुति और पूजित । धीर-प्राज्ञ | जण - पुरुष । थुयच्चिय-स्तुत और पूजित । तम - अन्धकार, चुय - कलि - कलुस - कलहको कालिमासे रहित । चुय-रहित । कलि-कलंह | कलुस - कालापन | संति - सुह - पवत्तयं - शान्ति और शुभ (सुख) को फैलानेवाले । संति - शान्ति । पवत्तय- फैलानेवाला । तिगरण - पयओ-तीन - सुह-शुभ । संति - श्री शान्तिनाथके | अहं - मैं | महामुणि महामुनिके । | प्रयत्नवान्, मन, वचन, कायाके प्रणिधानपूर्वक तिगरण - मन, वचन और काया । पयअ - प्रयत्नशील । For Private & Personal Use Only करणोंसे और सरणं उवणमे- शरणमें जाता हूँ, शरणको अङ्गीकृत करता हूँ । www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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