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________________ २५४ उत्तर — - सावद्य व्यापारका त्याग करना, उसे अव्यापार - पोषध कहते हैं । प्रश्न - ये प्रत्येक पोषध कितने प्रकारसे होता है ? उत्तर-- दो प्रकारसे :- - एक देशसे और दूसरा सर्व से, परन्तु वर्तमान सामाचारीके अनुसार आहार- पोषध हो देशसे और सर्व से, इस तरह दो प्रकारसे होता है और शेष तीन पोषध केवल सर्वसे होते हैं । प्रश्न- पोषव्रत कितने समय के लिये ग्रहण किया जाता है ? उत्तर - पोषधव्रत सामान्यतया एक अहोरात्र अर्थात् आठ प्रहर के लिये ग्रहण किया जाता है, परन्तु ऐसी अनुकूलता न हो तो केवल दिन अथवा केवल रात्रिके लिये भी पोषध-व्रत लिया जा सकता है । प्रश्न - - पोषध - व्रतसे क्या लाभ होता है ? उत्तर - पौषधव्रतसे साधुजीवनकी शिक्षा मिलती है और आध्यात्मिक शान्ति प्राप्ति होती है । मूल - ४८ पोसह -- पाररण --सुत्तं [ 'पोसह पारनेका' - सूत्र ] [ गाहा ] सागरचंदो कामो, चंदवर्डिसो सुदंसणो धन्नो । जेसिं पोसह - पडिमा, अखंडिया जीविअंते वि ॥१॥ धन्ना सलाहणिज्जा, सुलसा आणंद- कामदेवा य । जास पसंसइ भयवं, दढव्वयत्तं महावीरो ॥२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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