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२५१ बंभचेर-पोसहं सव्वओ, अव्वावार-पोसहं सव्वओ, चउव्विहं पोसहं ठामि, जाव दिवसं ( जाव अहोरत्तं ) पज्जुवासामि, दुविहं तिविहेणं, मणेणं वायाए कारणं न करोमि,
न कारवेमि। तस्स भंते ! पडिकमामि, निंदामि, गरिहामि,
अप्पाणं वोसिरामि॥
शब्दार्थ
करेमि-करता हूँ।
। सव्वओ-सर्वसे ।। भंते ! हे भदन्त ! हे पूज्य ! बंभचेर-पोसहं-ब्रह्मचर्य-पोषध। पोसहं-पोषध ।
सव्वओ-सर्वसे । आहार-पोसह-आहार-पोषध । अव्वावार-पोसह-अव्यापार-पोषध ____ आहार-सम्बन्धी पोषध करना __कुत्सित प्रवृत्तिके त्यागरूप जो वह-आहार--पोसह ।
पोषध वह अव्यापार-पोषध । देसओ-देशसे, कुछ अंशोंमें । सव्वओ-सर्वसे। सव्वओ-सर्वसे, सर्वांशमें । चउविहं-चार प्रकारके। सरीर-सकार-पोसहं- शरीर - पोसहं-पोषधके विषयमें, पोषधसत्कार-पोषध ।
व्रतमें। सरोर-काया । सक्कार-स्नान, ठामि-रहता हूँ, स्थिर होता हूँ। उद्वर्तन ( उबटन ), विलेपन | जाव-जहाँतक । आदि विशिष्ट वस्त्र अलङ्कार | दिवसं-दिन पूर्ण हो वहाँतक। धारण करनेकी क्रिया। । (जाव-जहाँतक ।
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