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अर्थ-सङ्कलना
पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रतों में दिवस - सम्बन्धी छोटे-बड़े जो अतिचार लगे हों, उन सबसे मैं निवृत्त होता हूँ ॥ ८ ॥
मूल -
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पढमे अणुव्वयम्मी, धूलग - पाणाइवाय - विरईओ । आयरियमप्पसत्थे, इत्थ पमाय - प्पसंगेणं ॥ ९॥
शब्दार्थ
पढमे अणुव्वयम्मी- प्रथम अणुव्रतके विषय में ।
थूलग - पाणाइवाय - विरईओ -स्थूल प्राणातिपातकी विरतिसे दूर हो ऐसा,
पालन करना ।
अर्थ- सङ्कलना
स्थूल - प्राणातिपात - विरमण - अप्पसत्थे
व्रतमें अतिचार लगे ऐसा ।
थूलग — स्थूल, कुछ अंशोंमें
पाणाइवाय- प्राणका वियोग करना, हिंसा । विरइ - विरमणव्रत, दूर रहना । आयरिय - जो कोई आचरण किया हो ।
- अप्रशस्त-भावका उदय
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होनेसे | इत्थ - यहाँ ।
पमाय - प्प संगेणं - प्रमादके प्रसङ्गसे
अब प्रथम अणुव्रत के विषयमें ( लगे हुए अतिचारोंका प्रतिक्रमण किया जाता है ।) यहाँ प्रमादके प्रसङ्गसे अथवा ( क्रोधादि ) अप्रशस्त भावका उदय होनेसे स्थूल - प्राणातिपात - विरमण - व्रतमें अतिचार लगे ऐसा जो कोई आचरण किया हो, उससे मैं निवृत्त होता हूँ ॥ ९ ॥ मूल
वह-बंध- छविच्छेए, अइभारे भत्त - पाण- वुच्छेए । पढम - वयस्स इआरे, पडिक्कमे देसिअं सव्वं ॥१०॥
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