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पिआए-दिवस-सम्बन्धी। | सव्वमिच्छोवयाराए-सर्व प्रकारके आसायणाए-आशातना।
मिथ्या उपचारोंसे। लित्तीसन्नयराए-तैंतीसमेंसे ।
सव्वधम्माइक्कमणाए-सर्व प्रकार
के धर्मका अतिक्रमण होनेके तं किंचि-जो कोई।
कारण हुई। मिच्छाए-मिथ्याभावद्वारा। जो-जो। मण-दुक्कडाए-मनके दुष्कृतद्वारा, मे-मुझसे । __ मनकी दुष्ट प्रवृत्तिसे हुई।
अइयारो-अतिचार ।
कओ-किया हो, हुआ हो। वय-दुक्कडाए-वचनके दुष्कृतद्वारा,
तस्स-तत् सम्बन्धी। वचनकी दुष्ट प्रवृत्तिसे हुई।
खमासमणो!-हे क्षमाश्रमण ! काय-दुक्कडाए-कायके दुष्कृत
पडिक्कमामि-प्रतिक्रमण करता हूँ, द्वारा, कायकी दुष्ट प्रवृत्तिसे हुई।
___ वापस लौटता हूँ। कोहाए-क्रोधसे हुई।
निंदामि-निन्दा करता हूँ। माणाए-मानसे हुई।
गरिहामि-गुरुके समक्ष निन्दा मायाए-मायासे हुई।
___करता हूँ।
| अप्पाणं-आत्माको, अशुभ योगमें लोभाए-लोभसे हुई, लोभकी
प्रवृत्त अपनी आत्माका । वृत्तिसे हुई।
वोसिरामि-छोड़ देता हूँ, त्याग सव्वकालियाए-सर्वकाल सम्बन्धी । करता हूँ। अर्थ-सङ्कलना
[शिष्य कहता है- ] हे क्षमाश्रमण गुरुदेव ! आपकी मैं सुखशाता पूछते हुए तथा अविनय आशातनाकी क्षमा मांगते हुए वन्दन करना चाहता हूँ।x
x यहाँ गुरु कहें-'छंदेणं' यदि ऐसी ही इच्छा हो तो ऐसा करो, तब शिष्य कहे
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