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शब्दार्थइच्छामि-चाहता हूँ।
अप्पकिलंताणं-अल्प ग्लानिवाले खमासमणो! हे क्षमाश्रमण __आपका। गुरुदेव !
बहुसुभेण-अत्यन्त सुखपूर्वक । बंदिउं-वन्दन करनेको।
भे!-आपका। जावणिज्जाए-सुखशाता (शान्ति) दिवसो-दिवस। पूछते हुए।
वइक्कतो?-बीता ?, व्यतीत निसीहिआए-अविनय आशा
___ हुआ ? तनाकी क्षमा माँगते हुए। जत्ता-यात्रा, संयम-यात्रा । अणुजाणह-आज्ञा प्रदान करो। भे?-आपकी। मे-मुझे।
जवणिज्जं-इन्द्रिय और मन मिउग्गह-अवग्रहमें आनेके लिये, । उपशमसे युक्त, इन्द्रिय मर्यादित भूमिमें प्रवेश । कषाय उपघातसे रहित । करनेकी।
च-और। मित-मर्यादित । अवग्रह
भे?-आपका। गुरुके आसपासकी शरीर जितनी खामेमि-खमाता हूँ, क्षमा ( साढेतीन हाथ ) जगह । ___ माँगता हूँ। निसीहि-अशुभ व्यापारोंके | खमासमणो!-हे क्षमाश्रमण ! __ त्याग-पूर्वक ।
देवसिअं-दिवस सम्बन्धी, दिनमें अहोकायं-चरणोंको।
___ किये हुए। काय-संफासं-मेरी कायाद्वारा वइक्कम-व्यतिक्रमको, अपराधको। ___ संस्पर्श ।
आवस्सिआए-आवश्यक - क्रियाखमणिज्जो-सहन करने योग्य है, के लिये। ___ क्षमा करें।
पडिक्कमामि-प्रतिक्रमण करता भे!-आपके द्वारा, आप।
हूँ, अवग्रहसे बाहर जाता हूँ। किलामो-खेद ।
खमासमणाणं-क्षमाश्रमणकी।
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