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(२) जिनवचनके अतिरिक्त अन्यकी काङ्क्षा नहीं करना । (३) जिनवचनमें मतिभ्रम नहीं करना । (४) मूढदृष्टिवाला नहीं होना । अर्थात् सत्यासत्य-(विवेक) परीक्षण
___ सीखना चाहिए। (५) धर्माचरणवालोंकी पुष्टि करना। (६) धर्ममार्गसे विचलित होनेवालेको स्थिर करना । (७) साधर्मियोंके प्रति वात्सल्यभाव रखना।
(८) धर्मकी प्रभावना करनी। प्रश्न-चारित्राचार कितने प्रकारका है ? उत्तर-आठ प्रकारका । वह इस तरहः
(१) पाँच समितियोंका पालन करना।
(२) तीन गुप्तियोंका पालन करना। प्रश्न-तपाचार कितने प्रकारका है ? उत्तर-बारह प्रकारका । वह इस तरहः
छह प्रकारका बाह्यतप
(१) उपवास करना। (२) ऊणोदरी व्रतका पालन करना, भूखकी अपेक्षा कुछ कम
खाना। (३) वृत्ति-संक्षेप करना, खानेके द्रव्य कम करना । (४) रसका त्याग, दूध, दही, घृत, तेल, गुड़ और पक्वान्न
यथाशक्ति कम करना। (५) संयमके पालनमें यथाशक्य कायाका क्लेश सहन करना।
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