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अणायारो-अनाचारसे हुआ हो। पंचण्हं अणुव्वयाणं-पाँच अणिच्छिअव्वो-अनिच्छित वर्त- | अणुव्रतोंका। नसे हुआ हो।
| तिण्हं गुणव्वयाणं-तीन गुणअसावग-पाउग्गो-श्रावकके लिये
व्रतोंका। सर्वथा अनुचित हो, ऐसे व्यव
चउण्हं सिक्खावयाणं-चार हारसे हुआ हो। नाणे-ज्ञानाराधनके विषयमें ।
शिक्षाव्रतोंका। दसणे-दर्शनाराधनके विषयमें। बारसविहस्स-बारह प्रकारके । चरित्ताचरित्ते-देशविरति चारि- सावगधम्मस्स-श्रावकधर्मका । त्राराधनके विषयमें।
जं-जो। सुए-श्रुतज्ञान ग्रहणके विषयमें ।
खंडिअं-खण्डित हुआ हो । सामाइए-सामायिक विषयमें। विराहि-विराधित हुआ हो । तिण्हं गुत्तीणं-तीन गुप्तियोंका। तस्स-तत्सम्बन्धी। चउण्हं कसायाणं-चार कषा- मिच्छा मि दुक्कडं-मेरा दुष्कृत
मिथ्या हो। अर्थ-सङ्कलना
__ योंसे।
___इच्छा पूर्वक आज्ञा प्रदान करो, हे भगवन् ! मैं दिवस सम्बन्धी आलोचना करूँ ?
[ गुरु कहें-आलोचना करो।] [ शिष्य ]-इसी प्रकार चाहता हूँ।
दिवस-सम्बन्धी मुझसे जो अतिचार हुआ हो उसकी आलोचना करता हूँ। ( यह अतिचार---)
कायाद्वारा हुआ हो, वाणीद्वारा हुआ हो या मनद्वारा हुआ हो।
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