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अर्थ-सङ्कलना
हे भगवन् ! स्वेच्छासे मुझे दैवसिक प्रतिक्रमणमें स्थिर होनेकी आज्ञा प्रदान करो। मैं भगवन्तके इस वचनको चाहता हूँ।
दिनके मध्यमें दुष्ट-चिन्तन-सम्बन्धी, दुष्ट-भाषण-सम्बन्धी, दुष्ट-चेष्टा-सम्बन्धी मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । सूत्र-परिचय
यह सूत्र प्रतिक्रमणका बीज माना जाता है, क्योंकि इसमें मन, वचन और काय से किये हुए पापोंका मिथ्या दुष्कृतद्वारा प्रतिक्रमण किया जाता है।
२७ अइयारालोअरण-सुत्तं
[अतिचार-आलोचना-सूत्र]
इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! देवसि आलोउं ? [गुरु-'आलोएह']
इच्छं।
आलोएमिजो मे देवसिओ अयियारो कओ, काइओ वाइओ माणसिओ,
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