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उजिंतसेल-सिहरे, दिक्खा नाणं निसीहिआ जस्स। तं धम्म-चक्कवादि, अरिट्टनेमि नमसामि ॥४॥ चत्तारिअट्ठ दस दो, अ वंदिआ जिणवरा चउव्वीसं ।
परमट्ठ--निटिअट्ठा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥५॥ शब्दार्थ
सिद्धाणं-सिद्धोंके लिए, सिद्धिपद ! पंजली-अञ्जलि पूर्वक ।
प्राप्त करनेवालोंके लिये। नमसंति-नमन करते हैं। बुद्धाणं-सर्वज्ञोंके लिये। तं-उनको। पार-गयाणं-पारङ्गतोंके लिये, | देवदेव-महिअं-इन्द्रोंद्वारा पूजि
संसारका पार प्राप्त करनेवालों- | तको। के लिये।
सिरसा-मस्तक झुकाकर । परंपर-याणं-परम्परासे सिद्ध
वंदे-मैं वन्दन करता हूँ। होनेवालोंके लिये।
महावीरं-श्रीमहावीरस्वामीको । लोअग्गमुवगयाणं-लोकके अग्र
इक्को -एक। भागपर गये हुओंके लिये। .
वि-भी। नमो-नमस्कार हो।
नमुक्कारो-नमस्कार। सया-सदा।
जिणवर-वसहस्स - जिनेश्वरोंमें सव्व-सिद्धाणं-सर्व सिद्ध-भग
उत्तम । वन्तोंको।
वद्धमाणस्स-श्रीमहावीरप्रभुको। जो-जो।
संसार - सागराओ - संसाररूप देवाण-देवोंके ।
___ सागरसे । वि-भी।
तारेइ-तिरा देता है।
नरं-पुरुषको। जं-जिनको।
व-अथवा। देवा-देव ।
| नारि-नारीको।
देवो-देव ।
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