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________________ - - - - - - - 144 44444 A4. - - - सप्तविंशतितमोऽध्यायः परमात्मस्वरूप [श्री गौतम स्वामी ने पूछा है कि शिवत्व की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को कौन से धार्मिक कर्म करने चाहिए ? E श्री भगवान् ने उत्तर दिया सर्व प्रथम दर्शनावरणीय कर्म का नाश PH करने के लिए परमात्म स्वरूप का दर्शन करना चाहिए तथा गुरू पर श्रद्धा रखनी चाहिए। कौन से परमात्मा पूजनीय है इसकी व्याख्या करते हुए यह बताते हैं कि वे परमात्मा स्वयंभू , लोकालोक सर्वज्ञ एवं महाव्रती हैं। निसंग होने के कारण वे न तो गौरीपति है एवं न परशुधर। जो माया से रहित हैं, समदृष्टि हैं एवं योगी हैं वे शुद्ध सिद्ध प्रबुद्ध व शान्त सुधारस केवली परमात्मा हैं। ये ही मंगलस्वरूप जिन अथवा शिव हैं। भगवान् ने श्वेताम्बर और E दिगम्बर साधुओं को अहंद् धर्म का पथिक बताया है अतः इन गुरूओं के उपदेश श्रवण से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। 244 अर्हद्गीता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001512
Book TitleArhadgita
Original Sutra AuthorMeghvijay
AuthorSohanlal Patni
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1981
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Sermon
File Size16 MB
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