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विंशतितमोऽध्यायः
मंत्रयोग से परमेष्ठिपद की उपासना
[ श्री गौतम स्वामी ने पूछा है कि परमात्मा कैसे हैं जिनकी भक्ति से प्राणियों को शिव सम्पदा की प्राप्ति होती है।
श्री भगवान ने उत्तर दिया संसार में भी सभी गुणों से युक्त पुरुष ज्येष्ठ व श्रेष्ठ माना जाता है। पुरुषों में भी जो व्यक्ति कषायों को जीतने वाला होता है वही पुरुष देवताओं द्वारा पूजनीय एवं प्रशंसनीय होता है। यही पुरुष परमेश्वर है सिद्ध शुद्ध एवं सनातन है जैसे दूध में सार घी, पुष्प में परिमल वैसे ही संसार में सार चैतन्य है उसमें
भी सर्वोत्कृष्ट कैवल्य है। सभी उपाधियों से रहित सिद्ध स्वरूपी - यही केवली परमेष्ठि पद पर प्रतिष्ठित है यही अर्हत् है एवं (मातृक,
पाठ में) बारह खडी में इसे ही ॐ नमः सिद्धं के रूप में पूजा गया है।
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अर्हद्गीत,
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