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राक्षस
प्रभव विभव
नल
पिंगल
कालयुक्त सिद्धार्थी
शुक्ल प्रमोद प्रजापति अंगिरा . श्रीमुख भाव युवा धाता
वर्षों (संवत्सरों के ) साठ नाम :प्रमाथी खन् शोभाकृत विक्रम : नन्दन क्रोधी वृष
विजय विश्वावसु चित्रभानु जय
पराभव सुभानु मन्यथ प्लवंग तारण दुर्मुख कीलक पार्थिव हेमलम्बी सौम्य व्यय विलम्बी साधारण सर्वजित्
विकारी विरोधकृत सर्वधारी शार्वरी परिधानी विरोधी
प्रमावी विक्रति शुभकृत्
आनन्द
दुर्मति दुन्दुभि रुधिरोदगारी रक्ताक्षी क्रोधन
ईश्वर
बहुधान्य
वर्षाणां प्रभवादीनां भावो मनसि जायते । सूक्ष्मत्वात्स तु दुर्ज्ञानः संज्ञेयः मुधिया स्वयम् ॥ ४ ॥
अन्वय-प्रभवादीनां वर्षाणां भावो मनसि जायते स तु सूक्ष्मत्वात् दुनिः सुधिया स्वयं संज्ञेयः॥ ४॥
अर्थ-संवत्सरों के प्रभव विभव ६० नाम हैं, प्रभव विभव आदि वर्षों के भाव मन में ही उत्पन्न होते हैं। मन के भाव सूक्ष्म होने के कारण दुर्जेय हैं। जिसमें सुधी ( श्रेष्ठ बुद्धि है ) है वही स्वयं उसको जान सकता है।
उग्रे दीप्ते तपोरक्ते तेजस्विन्युत्तरायणम् । चित्ते शान्तिः जाड्यभाजि निद्राणे दक्षिणायनम् ॥ ५ ॥
अन्वय-उने दीप्ते तपोरक्ते तेजस्विनि उत्तरायणम्। जाड्य भाजि चित्ते शान्तिः निहाणे दक्षिणायनम् ॥ ५॥
अहंद्गीता
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