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________________ ११. संतसंधान महाकाव्यम् श्रीऋषभदेव, शान्ति, नेभी, पार्थ, वीर, कृष्ण, रामचन्द्र का वर्णन १२. हस्त संजीवनी स्त्रोपज्ञ वृत्ति १३. ब्रह्मबोध १४. वर्ष प्रबोध १५. मध्यम व्याकरणम् (३५०० श्लोक प्रमितं) १६. लघु व्याकरण १७. थावच्च कुमार स्वाध्याय १८. सीमंधरस्वामिस्तवनम् १९. पर्व लेखा २०. पार्श्वनाथ नामावली, (गुर्जर गिरागुंफिता) २१. भक्तामर टीका २२. उदयदीपिका २३. राणवंश इतिहास २४. भूविश्वेत्यादि काव्यविवरणम् २५. रावणपार्श्वनाथाष्टकम् २६. विंशति यंत्रविधि (पद्मावती की बताई हुई) _ 'देवानन्दाभ्युदय महाकाव्य ' अकार से अंकित है। उसके प्रत्येक श्लोक का अन्तिम पाद माघ काव्य का है। 'युक्ति-प्रबोध' बनारसी दासजी के मत खंडन में लिखा हुआ ग्रन्थ है। इस ग्रंथ में उपाध्यायजी ने स्त्री निर्वाण, केवली कवलाहार तथा वस्त्रधारी श्रमण के मोक्ष की चर्चा की है। 'चंद्रप्रभा हेम कौमुदी' व्याकरग सं० १७५७ में आगरा में प्रणीत हुई। यह कौमुदी पाणिनीय व्याकरण जैसी है। यह चन्द्रप्रभा कौमुदी की तरह लघु, मध्यम तथा उत्तम प्रकार की है। उत्तम चन्द्रप्रभा में ८००० श्लोक हैं। उनका "लघु त्रिषष्टि चरित्र" त्रिषष्टि शलाका पुरुष का संक्षिप्त रूप है। इसमें ५००० श्लोक है! 'श्री शान्तिनाथ चरित्रम् ' की रचना नैषध काव्य की समस्यापूर्ति रूप है। इसके प्रत्येक श्लोक का चौथा पाद नैषधीय चरित्र का है। इसका एक नाम नैषधीय समस्या भी है। इसमें कुल ६ सर्गों में तीर्थंकर भगवान् शांतिनाथ के जीवन की महिमा गुम्फित है। 'मेघदूत समस्या पादपूर्ति' में श्लोक का प्रत्येक चौथा पाद मेघदूत का है। इसमें कुल १३० श्लोक हैं। देवात्तन में चातुर्मास कर रहे आचार्य विजयप्रभसूरे को मेत्रविजयजी ने औरंगाबाद से लेख विज्ञनि के रूप में इस काव्य को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001512
Book TitleArhadgita
Original Sutra AuthorMeghvijay
AuthorSohanlal Patni
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1981
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Sermon
File Size16 MB
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