________________
"
है उसमें जैन धर्म संबंधित कुछ हस्तलिखित प्रतियां (पन्ने) भी है कल्प सूत्र के पन्नों में नमोत्थुणं "अरहंताणं" है ।
NOTE : उपरोक्त प्रमाण जो आगम सूत्रों के दिये गये है उनमें से कई सूत्रों में एक से ज्यादा पांच, दस, पच्चीस बार भी "अरहंताणं" शब्द का उपयोग हुआ है यहां सिर्फ एक एक ही बार बतौर नमूने के बताया है यह बात अवश्य है कि 'अरिहंत' शब्द व्यापक एवं रुढ हो गया है हो जाने से कहीं कहीं आगम सूत्रों की नवीन छपाई एवं प्रकीर्ण आदि विभिन्न सूत्रों में अरिहंत शब्द ही ज्यादा मिलेगा ।
"नमोत्थुणं"
नमुत्थुणं सूत्र यह सूत्र आगम सूत्रों में "नमो जिणणं जिअ भयाणं" यहां तक ही है "जे अइया सिद्धा जे अभवि संतिण गये काले" आदि बाद में प्रक्षिप्त है । इसके लिये वर्तमान आचार्य आदि विद्वान जो इस प्रक्षिप्त गाथा को सही मानते है । द्रव्य निक्षेपा का आधार लेकर समाधान करते है अतः द्रव्य निक्षेपा का सही विवरण निम्न प्रकार से दिया गया है जिससे वास्तविकता समझ में आ जाय ।
--
8 ) क्या यह सत्य है ?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org