________________
अपनी जवाबदारी होने से अन्यत्र जा नहीं सकते कारण वश जाना पड़े तो उत्तराधिकारी को नियुक्त करके ही जाना पड़ता है ताकि अपनी अनुपस्थिती में कार्यभार संभाल सकें ।
उस समयावधि तक ये साधू पद में आ जाते है अतः आचार्य उपाध्याय की पद स्थिति में मानुषोत्तर लोक में जाना नहीं हो सकता। 5. साधू पद में जो छद्मपस्थ साधू है उनमें से कई साधू लब्धि धारक भी होते है 'विद्या चारण' जंघा चारण आदि ये साधू कभी-कभी अपनी लब्धि के प्रयोग से 'नंदीश्वर' आदि द्वीपों में जोकि मनुष्य लोक के बाहर मानुषोत्तर लोक में है वहां भी जाते है कुछ समय रहकर वापिस अपने स्थान पर आ जाते है याने साधू पद के इस भेद में साधुओं का वहां रहना भी संभव है अतः इन कारणों से लोए शब्द का उपयोग साधू पद में हुआ है जो हेतु पूर्वक कहा जा सकता है।
क्या यह सत्य है ? (69
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org