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________________ व्यवहार राशी में आने का सौभाग्य प्राप्त होता है अतः उस अव्यवहार राशी के जीव के लिए सिद्ध हो गये हुए उस जीव का महान उपकार है जिसने एक जीव को रहने का स्थान दिया और जब तक वह जीव भी सिद्ध में नहीं जाता तब तक सिद्ध भगवंत का सदा ऋणी है। इस लोकाकाश में सूक्ष्म निगोद अव्यवहार राशी के जीव भटकते रहते है। इन भटकते हुए जीवों में से जब एक जीव जिस जगह से मोक्ष में जाता है उस जगह के पास में रहे हुए एक जीव का नंबर व्यवहार राशी में आने का लग जाता है। व्यवहारं राशी में आने वाले जीव का उसका अपना इसमें कोई पुरूषार्थ नहीं होता यह एक भवितव्यता ही है। जिस वक्त एक जीव मोक्ष में जाता है उस वक्त उस जगह में भटकते हुए अव्यवहार राशी के जिस एक जीव का आना होता है वह लाटरी जैसा है जिसे नदीघोल पाषाण की उपमा दी जाती है। जैसे कोई पत्थर नदी के पानी के बहाव से टकराते-टकराते गोल हो । जाता है उसमें उस पत्थर का अपना कोई पुरूषार्थ नहीं होता ठीक उसी । तरह अव्यवहार राशी के जीव को व्यवहार राशी में आने के लिए अपना खुद का व्यवहार राशी में आता है तब वह सर्वप्रथम पृथ्वीकाय में उत्पन्न होता है"सर्वप्रथम पृथ्वीकाय में उत्पन्न होना और उसका जिस रिती से आगे बढ़ना होता है उसमें भी कारण आवश्यक है कि "जननी जन्म : भूमीश्च" इस संसार में से मोक्ष में जाने के लिए मनुष्य भव की प्रथम जरूरत है और मनुष्य भव के शरीर के लिए प्रथम पृथ्वी चाहिए । अतः अव्यवहार राशी का जीव सर्व प्रथम पृथ्वीकाय में उत्पन्न होता है और लोककाश में रहे हुए पृथ्वी काय के सभी पुद्गलों में अपना जीव परिवर्तन करते रहता है। ___ अपना पृथ्वीकाय का शरीर व्यवहार राशी के अन्य जीवों द्वारा उपयोग में लेने से यह आत्मा पृथ्वीकाय के पुद्गल परमाणुओं का लेंणदार बन जाता है। यह काल अवधि इतनी लंबी होती है कि जिसे शास्त्रीय भाषा में पुद्गल परावर्तन काल कहते है। पृथ्वीकाय के सभी पुद्गलों द्वारा सेवा अर्पित किये जाने से अब वह पृथ्वी पर ठहरने का हकदार बन जाता है यह क्रम पूरा होने के बाद जीव क्या यह सत्य है? (59 Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org
SR No.001506
Book TitleKya yah Satya hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHajarimal Bhoormal Jain
PublisherShuddh Sanatan Jain Dharm Sabarmati
Publication Year1994
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size4 MB
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