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________________ करने का जरूरी समझते है क्योंकि वर्तमान में शासनाधिपति भगवान श्री महावीर स्वामी है इन अठारह दोषो से बचने के बाद भी अन्य कोई भी दोष न आ जाय इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। ब 1. जैसे अरहंत भगवंत कंचन और कामिनी के त्यागी है अतः इनकी प्रतीमा विराजमान करते वक्त इनकी बैठक के नीचे कोई सोना चांदी के सिक्के नहीं रखे जाते । और इनकी बैठक के नीचे पवासन देवी या किसी भी देवी (स्त्रीवर्ग) का चित्र या प्रतिमा नहीं रखी जाती । 2. कर्मशिला या प्रासाद पुरुष जैसी कोई भी हनन जैसी क्रिया नहीं की जाती। 3. यज्ञ जैसे हवन क्रिया एवम् मंत्रयंत्र का कोई भी आधार नहीं लिया जाता। 4. अरहंत भगवंत का शरीर समचतुर संस्थान से साथ ऊंचाई में 120 (एकसो बीस) आत्मांगुल प्रमाण होता है जिस से शिरोभाग विशेष ऊंचाई । वाला होने से प्रतिमा भराने में इसका पूरा ध्यान रखा गया है। 5. अरहंत भगवंत की प्रतिमायें विशेषकर केवल ज्ञान अवस्था की भराने का होने से केवली अवस्था में या अन्य किसी प्रसंगमें अरहंत भगवंत के लंगोट पहनने का प्रसंग नहीं आता अतः लंगोट का दिखावा नहीं रखा गया, बायें कंधे पर देवदुष्य वस्त्र रखने का विधान जरूर हैं। __6. केवली अवस्था में अरहंत भगवंत के सिर पर केश नहीं होने से केश के आकार जैसी गांठ नहीं बनाई गई है ___7. अरहंत भगवंत के शरीर का जैसा वर्ण होता है उनकी प्रतिमा में भी वही वर्ण रखा गया है। ___8. अंजन विधि आदि ऐसी कोई भी क्रिया विधि नहीं रखी गई जिसे रात्रि को ही करना पड़े। 9. ऐसा कोई भी सूत्र या स्तवन नहीं बोला जाता जिस में पौद्धगलिक सुख की इच्छा प्रदर्शित हो। ___ 10. पूजा प्रतिष्ठा आदि कोई भी क्रिया विधि में प्रणव, बीज, अक्षरों का क्या यह सत्य है ? (41 Jain Education International ....Eor Private &Personal use Only . ... www.jainelibrary.org
SR No.001506
Book TitleKya yah Satya hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHajarimal Bhoormal Jain
PublisherShuddh Sanatan Jain Dharm Sabarmati
Publication Year1994
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size4 MB
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