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[ 83] पिउणो पराहवाओ, अहमवि देसंतरं तओ कमसो । पत्तो इहोवलक्खिय, मम्मणो एस कुमरेण ॥ ३९४ इय चिंतिय दाऊणं, बहु-माणं मज्झ नामं सुयण । उग्घाडेसु नरेसर--पुरओ, कहिऊण संठविओ ॥ ३९५ ॥ युग्मम् एएण कारणेणं ललियंग कुमार वुज्ज (?) पायस्स । नाह कहमि कहवि, कहं, परं परा सामि तुह आणा ॥ ३९६
पद्धडी इम सुयण-वयण-विस-घारियंग, मणि चिंतइ भूवइ अइ-विरंग । फिट फग्गु भग्गु भर अम्ह देव, किम कारिय उत्तम नीय-सेव ।। ३९७ पण बद्ध लद्ध जई कण्ण ईणि, किय मलिण रज्जमह देउ कीणि । जइ चरइ पिराई खरसुदक्ख, नवि होइ किंपि हियडइ अणक्ख ॥ ३९८ वरि भलउ विसानरि सुह-पवेस, नवि भलउ कुल(लु)ज्जिय जण पवेस। वरि भलउ किद्ध परगेहि दास, नवि भलउ कुलुज्जिय सह निवास ॥३९९ वरि भलउ भावि सह वेस रंग, नवि भलउ कुल(लु)ज्जिय पुरिस-संग वरि भलिय रायति सुण्ण साल, णवि पूरिय पुणरवि चोर-माल ॥ ४०० जइ तापउ महातवि तणु किलामि, ठाईइ सिउँ ति विसतरु-कु-ठामि । पामीइ जइ-वि घय सालि दालि, कामीइ सिउँ तिमरु-लहुअ-सालि ॥४०१ साहीइ सुबुद्धिहिँ अप्प-कज्ज, उप्पज्जइ जेम नवि लोय-लज्ज ।। खाईइ चोरि निय-गुड नियाणि, इम कहिय लोय उहाणि जाणि ॥ ४०२ चिंताविय चित्ति इम नरवरेसि, ललिअंग कुमार कुमार-रेसि । पट्टविय पेसियर छन्न रत्ति, गम-निग्गम अह-विचि-मज्झ घत्ति ॥ ४०३ सामी सुह-संगम सेज लीण, नव-गाह-गेय-गुण रमण-पीण । ललिअंगि रंगि ललियंग जाम, तव अच्छइ रयणि समद्ध जाम ।। ४०४ नवि पेसिय परिसर मयि(?) कोइ, ललिअंग-भुवण वर पत्त सोइ । उग्घाडिय लहु संपुड-कवाड, विण्णवइ विणय--गुरु-वयण-चाड ॥४०५ जय विजयवंत चिर जीव देव, बुल्लावइ तुम्ह नरराय हेव । पर पेमि किंपि पुच्छइ सुवत्त, पर-टु लट्ठ गिह-रज्ज-सुत्त ॥ ४०६ पाधारउ पहु पिय पंथ मज्झि, नितमंत जेम नवि पडइ वज्जि ।
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