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चर्चा की है । प्रस्तुत प्रयास भी इसी दिशा का है । सूत्र, वृत्ति, उदाहरण, संस्कृत शब्दार्थ तथा छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पणी; अपभ्रंश भाषा, साहित्य और हेमचन्द्रीय अपभ्रंश की भूमिका, उद्धत पद्यों के समानान्तर पद्य और शब्दसूचि-यह सारी सामग्री दी गयी है । । आगे की प्रथम दो आवृत्तियों का प्रकाशन करने के लिये फार्बस गुजराती सभा
औरइस तृतीय आवृत्ति के तथा उसके हिन्दी अनुवाद के प्रकाशन के लिये कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य नवम जन्म शताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षण-निधिका तथा मुनिश्री शीलचन्द्रविजयजी का मैं ऋणी हूँ । डॉ. बिन्दु भट्ट ने हमारे अनुरोध से हिन्दी अनुवाद का कार्य स्वीकार किया और हमारे तकादे को मान कर निर्धारित समय में संपन्न किया इसके लिये में उनका भी ऋणी हूँ।
हरिवल्लभ भायाणी
दिनांक १-८-९४ अहमदाबाद
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