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(4) संज्ञा-साधक : विशेषण या संज्ञा से भाववाचक संज्ञा : 'इम' : गहीरिम, वंकिम, सरिसिम, मुणीसिम; 'त्तण' (विकल्प में 'अ' द्वारा विस्तरण) : उण्हत्तण, तुंगत्ता, वड्डत्तण; थिरत्तणय, वड्डत्तणय; पत्तत्तण, 'तिलत्तण ; 'प्पण'-बडपण । पुंल्लिंग पर से स्त्रीलिंग संज्ञा-'इ' (स्वार्थिक प्रत्यय 'अ' से विस्तृत 'इ' या 'ई') विशेषण के साथ (चंपावण्णी, गोरि, कुमारी, तइज्जी, वंकी, सकणी); कृदंत के साथ (दिण्णी, रुट्ठी, गइअ, मुइअ, जोअंति, गणंति; ‘उड्डावंतिअ' में प्रत्यय को 'इअ' लगा है ।
(ग) क्रियाविशेषण-साधक : सर्वनाम से क्रिया विशेषण-(रीतिवाचक) 'म' (या 'व') : एम (एव) इम, जेव, जिव, तेव, तिव, केम (केव), किव; 'ह' : जिह, तिह, किह; 'व' : जिध, तिध; (स्थलवाचक) 'स्थ' : एत्थु, जेत्थु, तेत्थु, केत्थु; 'त्त' : जत्त, तत्त; (सीमावाचक) 'म' : जाम; ताम; 'उ': जाउँ, 'महि' : जामहि, तामहि ।
(घ) स्वार्थिक : 'अ' (स्त्री. 'इ') बहुत ही व्यापक है । निम्नलिखित अंगों को लगे हैं :
विशेषण-अग्गल, अपूर, उज्जु, उण्ह, गरु, तुच्छ, निअ, बहु, वहिल्ल, अप्पण, इत्त, जेह, तेह, तेवड्ड, महार, केर, तण; कृदंत-प्रत्यय : वर्तमान का न्त', भूत-. कृदंत का 'अ', विध्यर्थ कृदंत का 'एव्व', ताच्छिल्यवाचक 'ण' । सर्वनाम : अप्प, एक्कमेक्क । संज्ञा : अग्ग, अग्गिट्ठ, अंधार, कसवट्ट, कुडीर, कुडुंब, दडवड, द्रवक्क, पंगण,
__ भंड, माह, रूस, वेरिअ । प्रत्यय : 'ड', 'त्तण' । स्त्रीलिंग : अइरत्तिअ, कणिअ, गोरिअ, मुणालिअ, मुंडमालिअ, सहिअ; (भूतकृदंत) .
गइअ, मुइअ; वर्तमान कृदंत का 'न्ति' प्रत्यय । 'इ' : अवराहिअ । 'उअ' : बहिणुअ (स्त्री.) 'उड' ('अ' से विस्तारित) : बप्पुडय, वंकुडय । 'उल्ल' ('अ' से विस्तारित) : कुडुल्ली (स्त्री.) चूडुल्लय 'बलुल्लडय' में 'उल्ल' + 'ड' +अ साथ में हैं । 'ड' : स्वार्थिक 'अ' के साथ जुड़कर इस प्रत्यय बहुतायत से 'डय' (या -
'डा') के रूप में मिलता है । स्त्रीलिंग 'ड', 'डिय' (प्राकृत 'डिया'). या 'डी' । निम्नलिखित अंगों में यह लगा है :
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