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________________ केटला शब्दो हिंदी, राजस्थानी, मराठी वगैरेनी साथै समानपण गुजरातामः गण मळे छे, अने केटला शब्दो एवा छ जे मात्र गुजरातीमां ज जळवाया छे एनी मार घणी उपयोगी नीवडे. बीजी बाजु देना.मा संगृहीत शब्दो द्वारा तत्कालीन सांस्कृतिक, अन या माजिक परिस्थिति विशे-~-रीतरिवाजो, उत्सवा, प्रथाआ, रमतगमतो, संप्रदायः बगेरे' विशे-आपणने जे महत्त्वनी माहिती मळे छ ते विशे कटलाक अभ्यासीओए आपणुं ध्यान दोयु छे. अहीं हु आ व ने बाबतनां उदाहरणरूपे पांचसान शब्दो ना निदेश करीश. भयवग्गामो (६.१०२) शब्द उत्तर गुजरातना, सूर्य मंदिरना अवशेपथी जाणीला गामना एक नाम तरीके आपेलो छ. तेनु संस्कृत मक रूप भगवद्ग्रामः सुचवे छे के ते नाम त्यांना सूर्यमदिरने कारणे तेन माटे रूट थयं हशे. केम के भावत् शब्द सूर्य वाचक पण हता. एक्कल्लपुडिंग(१.१४७) शब्द 'छूटां छूटा पडतां चरसादनां फारा' एवा अर्थप आप्या छ. सौराष्ट्रनी बोलीमां आवा वरसादने माटे एकलपणगी शब्द आहे पण प्रचलित छ, अने 'मोटे पणगे मे' एबी, लोककथामा मळती दुहानी पंक्ति पण ए प्रयोग मळे छे. एक्कणडो(१.१४४) शब्दना 'कथक' एचा अर्थ आया छ. भोजने अनुसरीन हेमचंद्रे आपेली आख्यान नामना साहित्यप्रकारनी व्याख्या अनुसार जे पौराणिक उपाख्यान कथन, गायन अने अभिनय साथे श्रोताओं समक्ष रन कराय त आध्यान कहेवाय. आ दृष्टिए, आख्यानना कहेनारने 'एकनट' (जे काम नाटकमां आने नटे करता ते एकले हाथे करतो हावाथी) सहेजे कही शकाय. वायण (७.५७) शब्द 'भोज्य पदार्थ नी भेट'ना अर्थ मां नाया है. जाती कोशामां वायणु शब्द (१) 'नवां परणी आवलां वरवधूने अथवा सीम तिनीने सग तरफथी अपातु होंशनु जमण', तथा (२) 'स्पडीमा कं कुनी डावली, कांसको बगेरे मूकी सधवाओने अपाती भेट' ---एवा अर्थोमां आपेला छे. वळी आखिया' अग्या' 'मंगळ प्रसंगे गोर, वसवाया वगेरेने अपाती चोखा, घ, नाळियेर वगैरेनी नेट' ए शव्दना मूळ तरीके जो आपणे अक्षतदानने बदले अक्षतवायनने वधु याग्य गगीए, तो तेमां पण आ वायण (मूळ सं. उपायन) जळवाया हावानु कही शकाल. ___ . ओलुकी(१.१५३) शब्द वाळका नासीने सताई जवानी जे रमत रमे , तेने माटे-एटले के 'संताकुकडी' के 'संताकणो दाव'ना अर्थ मां नोध्या छे. 'अंध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001462
Book TitleStudies in Desya Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1988
Total Pages316
LanguageEnglish, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_English, Dictionary, & literature
File Size14 MB
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