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आर्य नामग्रीमांथी सहाय मेळववाना प्रयत्न कया छ खरा, पण पिशेले ए आधारस्रोतना नाममात्र स्पर्श करेलो. हरगोविंददास शेटे अने वधु ता बेघरदास दाशीए तेनो धणी मारी रीते उपयोग कर्या छ अन हवे तो आपणे (१) टर्नरनी नेपाली कोश, (२) तेमना भारतीय-आर्य भाषाओना तुलनात्मक काश, (३) मायोफरना प्राचीन भारतीयआर्यना मंक्षिप्त व्युत्पत्तिकोश अन (6) बग तथा एमेनाना द्राविडी भाषाओना व्युत्पत्तिकोश -- साधनाने लीधे-अने ('.) ई.स. १९०० पछीथी भारतीय-आर्य परत्वे ऐतिहासिक अने तुलनात्मक दृष्टिए थयला वधु संशोधनकार्यने लीधे, ए आधारनेा घणी वधु सारी रीते उपयाग करी शकीए छीए. एवो बीजो अगत्यना आधार आपणने पिशेलना देना ना संपादन पछी प्रकाशित थयेल विशाळ प्राकृत साहित्य अने समग्र अपभ्रंश साहित्य पूरो पाडे छ. देशी शब्दाना स्वरूपनिर्णय माटे ए साहित्यमांथी वहु थोडु उपयोगमा लेबायु छे.
__देश्य शब्दाना स्वरूपनिर्णय अने अर्थनिर्णयने लगती समस्यानु बीजु पासु छ, हेम चंद्रे पर पराने आधार नोंधेला शब्दाना स्वरूपनी अने अर्थनी चकासणी. देशी शब्दोन चाकस स्वरूपनिर्णय करवानु काम ज्यारे हेमचंद्र हाथमां लीधुं त्यार जत भारे गूचवायेल हतु. हेमचंद्र पोतानी विवेकशील, समीक्षक दृष्टिए समस्या उकेलवाना जे प्रयास कर्या छे, तेमाथी आपणने तेमनी ऊंची वैतानिकता, व्यवस्थापकता अने समताल दृष्टि प्रतीत थाय छे. अनेक शब्दानी बाबतमा हेमचंद्र वैकल्पिक शब्दरूप आयां छ तो यण छेवटे ता तेओ अमुक पायानी स्वीकृतिआने वशवर्तीन ज पुरस्कार-तिरस्कारनु काम करी शके तेम हतु. वळी परंपरा प्रत्येनी आदर तेमने माटे अनिवार्य हतो आपणा समयना काई कोशकारनी सरखामणीमां हेमचंद्रन दृष्टिनी तम ज संदर्भगामग्रीनी मोटी मर्यादाओ नीचे काम करवान हतु. अर्वाचीन अभिगम, तपासपद्धति अने सहायक साधनोना प्रकाशमा अपणे हेमचंद्रे जेमने अलग, जुदा देश्य शब्द लेग्वे नांच्या छ, तेमने अन्यत्र नधेिला काईक शब्दना मात्र स्वरूपांतर तरीके घटावी शकीए, छीए. वळी देश्य शब्दानां मळतां विविध स्वरूपांतरानी पाडळ रहेल लेखनमूलक के उच्चारणमूलक काईक व्यापक वलण तारवीने त द्वारा भारतीय-आर्यना इतिहास माटे पण केटलीक महत्त्वनो हकीकता प्राप्त करी शकीए छीए.
देश्य शब्दानी बीजी समस्या त तमना साहित्यगत प्रयोगा अने व्युत्पत्तिने लगती छे. ए समस्याने उकेलवा माटे पण आणणे उपर्युक्त आधाराना आश्रय लेवानो छे. आ माटे प्राचीन प्राकृत अन अपभ्रंश कृतिओनु तेमां वपरायेला देश्य शब्दानी दृष्टिए अध्ययन करवू पण जरूरी छे.
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