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________________ आ वां परिशिष्टो वगेरे तैयार करवामां प. पू. मुनिराज श्री नन्दिघोषविजयजी, मुनिराज श्री जिनसेनविषयनी, मुनिराज श्री विमलकीर्तिविजयजी आदिए घणो श्रम लीधो छे. आ ग्रन्थोना सम्पादन माटे उपयुक्त पद्धति तेमज हस्तप्रतिओ आदि विषे जाणकारी जिज्ञासुमोने मली रहे ते हेतुथी मूल आवृत्तिना सम्पादकोनां निवेदनो यथावत् पुनमुद्रित करेल छे. प्रथम वे भागोना पुनर्मुद्रण पछी तबक्कावार बाकीनां पर्वोनी सम्पादित वाचनानुं प्रकाशन करवानी पण अमारी भावना छे, अने अमोने आनन्द छे के बाकीनां पर्वोनु प्राचीन प्रतिओना आधारे सम्पादन कार्य प. श्री शीलचन्द्रविजयजी करी रह्या होवाथी रक समयमां अमारी आ भावना अवश्य साकार बनशे. प्रस्तुत कार्यमां श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक बोडिंग अमदावाद तरफथी अमोने पूर्ण आर्थिक सहयोग प्राप्त थयो छे, ते बदल ते संस्थाना संचालकोनो अमे हृदयपूर्वक आभार मानीऐ छीए. अन्तमां, घरदीवडा जेवी अमारी नानकडी संस्थाना माध्यमथी श्री हेमचन्द्राचार्यना महान अने उपकारक साहित्यनो प्रसारप्रचार करवानो आवो अवसर अमने वारंवार मलतो रहे तेवी शुभ कामना. ठे. लालभाई दलपतभाईनो वंडो पानकोर नाका अमदावाद-१ कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य नवम जन्म शताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षण निधि, अमदावाद ना ट्रस्टीओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001456
Book TitleTrishashtishalakapurushcharitammahakavyam Parva 2 3 4
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorPunyavijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1990
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size11 MB
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