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________________ | 41] छे अने एम सुंदरीओ क्रीडा करे छे ।' -(टीकाकार ‘सारए' नो 'शारदे' - एटले के शरदऋतुमां, ज्यारे कामदेवनो प्रभाव प्रवर्तवा लागे छे त्यारे, ए प्रमाणे अर्थ करे छे) ! __ पांच पंचकलवाळा मधुकरी छंद- उदाहरण : चरणेण-वि नव-फुडिअ-कुडयमपरिघट्टयंतिआ, पक्ख-वाएण वि विहसिअ-केअयमच्छिवंतिआ । उअह झत्ति एसा निम्मलयर-गुणाणुरंजिरी, ___ अहिसरइ विअसंत-जाइ-कुसुमं चेअ 'महुअरी' ॥ ११९ . 'पोतानां चरणथी नवविकसित कुटज, कुसुमने अथडावा न देती, विकसित केतक-पुष्पनो पांखनी झपटथी स्पर्श पण न करती, जुओ, आ मधुकरी, जे निर्मळ गुणोथी ज मन रंजित करती जाईना विकसता फूल प्रत्ये झडपथी अभिसार करी रही छ ।' छ पंचकलवाळा नवकोकिला छंद, उदाहरण : 'नव-कोइल'-रवाउल-मंजरिअ-मायंद-तरु-कंतारए, सच्छंद-मल्लिआ-मयरंद-रस-मत्त-घोलंत-छप्पए । जिंभंत-मलयद्दि-समीरण-लोल-नोमालिआ-वल्लिए, संभरइ पंथिओ पिअयमं ओसहिं हिअयए सल्लिए ॥ १२० _ 'जेमां महोरेलां आम्रतरुओ, उपर आवी बेठेली कोयलोना कलरवे गूंजी रह्यां छे, जेमां मल्लिकाना मकरंदरसे मदमत्त बनीने भ्रमरो घूमी रह्या छे, जेमां प्रसरता मलयानिले नवमालिका लताओ डोली रही छे, तेवा वनमांथी पसार थतो पथिक पोताना वींधायेला हृदय माटे जाणे के औषधि होय तेम पोतानी प्रियतमा- स्मरण करी रह्यो छे ।' सात पंचकलवाळा कामलीला छंद- उदाहरण : मत्त-पिअमाहवी-पंचमोग्गार-गुंजंत-चूअहम-त्तंबओ, मिउ-लय-मारुउद्धअ-वल्लि-प्पसणग्ग-घोलंत-रोलंबओ । चारु-कंकेल्लि-साहंत-दोला-समंदोलणासत्त-नारीअणो, 'कामलीला'-सहो संपयं विलसए एत्थ एसो वसंतक्खणो ॥ १२१ 'जेमां आम्रतरुओ, झुंड मदमत्त कोयलोना पंचम स्वरे गूंजी रह्यु छे, जेमां कोमळ मलयपवने डोलती लताओनां पुष्पो उपर भ्रमरो घूमी रह्या छे, जेमां सुंदरीओ रमणीय अशोकवृक्षनी शाखाए बांधेला झूला उपर उमंगथी झूली रही छे–एवो कामक्रीडाने अनुकूळ आ वसंतोत्सव अहीं अत्यारे पूरबहारमा उजवाई रह्यो छे ।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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