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________________ [39] चित्रलेखा । चित्रलेखानुं उदाहरण : नहयलम्मि सयल-दिसा-मुहेसु गहणम्मि गिरिवरे, सरि-पुक्खरिणिआसु देवउलएसु भित्तिसु नयरे । दूरम्मि-पासे घरम्मि अंगण-पएसए तुह, 'चित्तलिहिअं' पिव मयच्छि पेच्छामि सुंदरं मुहं ॥ ११४ _ 'हे मृगनयनी, अवकाशमां, बधी दिशाओमां, वनमां, पर्वतमां, नदी अने वावोमां, देवळोमां, भींतो पर, नगरमां, दूर तेम ज निकट, घरमां तेम ज आंगणामां जाणे के चितर्यु होय एम सर्वत्र तारुं सुंदर मुख मने देखाय छे ।' मल्लिका जो अधिकाक्षरानी शरूआतमां बे पंचकल वधु होय, तो ते छंदनुं नाम मल्लिका । मल्लिकानुं उदाहरण : उब्भिज्जउ मायंद-मंजरी पाडला दलउ चिरं, सा पायड-विआस-सिरी अ नोमालिआ वि निब्भरं । विअसउ वसंतम्मि फुडं मणहरा असोअ-वल्लिआ, एक्क च्चिअ भसलस्स माणसं हरइ हंत 'मल्लिआ ॥११५ 'वसंतऋतुमां भले आम्रमंजरी विकसे, पाटलापुष्प पूरेपूरूं खीले, नवमालिका लता पण भरपूर विकासनी रमणीयता प्रगट करे, मनहर अशोकवल्लरी पण पूरेपूरी विकसे, पण भ्रमर, हृदय तो मात्र मल्लिका ज हरे छे ।' दीपिका ____ जो मल्लिकाना प्रत्येक चरणमां चोथो गण पंचकल होय तो ते छंदनुं नाम दीपिका । दीपिकानुं उदाहरण : मत्त-वारिहर-पंति-रुद्ध-हरिशंक-मऊह-सोहए, रोअसी-कंदरूससंत-घोर-अंधयार-वूहए । रमण-वास-भवणाहिसारिआण रुइर-विज्जु-लेहिआ, कामिणीण अवलोअ-कारिणी हवइ इह कर-दीविआ' ॥ ११६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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