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________________ [ 1261 उपगंधर्व जेना प्रत्येक चरणमांत्रण षट्कल, चार चतुष्कल अने एक द्विकल होय तथा बार मात्रा अने आठ मात्रा पछी यति होय, ते द्विपदीनुं नाम उपगंधर्व । उपगंधर्व द्विपदीनुं उदाहरण : गय-घड-तुरय-घट्ट-रहवूह-महा-भड-निवह-रयण-भंडार-समिद्ध-वि । 'उव गंधव्व'नयर-समु पुहइवइत्तणु तिणु जिवँ चयहिं विवेअवंत कि-वि ॥४२ ___'गजघटा, अश्वोनी श्रेणी, रथोनुं जूथ, सुभटोनो मोटो समूह अने रत्नभंडार ए बधाथी समृद्ध होवा छतां जुओ, जे केटलाक विवेकी छे तेओ नृपतिपणाने, गंधर्वनगर समुं, तृण जेवू (तुच्छ) गणीने तेनो त्याग करे छे ।' संगीत जो ए उपगंधर्व द्विपदीना प्रत्येक चरणमां चौद मात्रा अने आठ मात्रा पछी यति होय, तो ते द्विपदी- नाम संगीत । संगीत द्विपदीनुं उदाहरण : वज्जहिं गज्जिर-घण-मद्दल, नच्चहिं नहयण-अंगणि नव चंचल विज्जुल । गायहिं सिहि इअ 'संगीअउ', पाउस-लच्छिहिं, करइ जुआणह मण आऊल ॥ ४३ _ 'गर्जना करतां वादळोरूपी मृदंगो बजी रह्यां छे, आकाशप्रदेशमां चंचळ वीजळीओ नृत्य करी रही छे, मोर गान करी रह्या छ । वर्षालक्ष्मीनो आ संगीतसमारोह युवानोना मनने व्याकुळ करी रह्यो छे ।' उपगीत जो ए उपगंधर्व द्विपदीना प्रत्येक चरणमां सोळ मात्रा अने आठ मात्रा पछी यति होय, तो ते द्विपदीनुं नाम उपगीत । उपगीत द्विपदीनुं उदाहरण : . जसु भुअ-बलु हेलुद्धरिअ-धरणि, निसुणिवि वणयर-गण-उवगीउ' सुविक्कमु। अज्ज-वि हरिसिअ नवदब्भंकुर-दंभिण पयडहिं कुल-महिहर पुलउग्गमु ॥४४ ' "एना भुजबळे रमतमात्रमा भूमिनो उद्धार कर्यो छे''-ए प्रमाणे जेना पराक्रमनुं वनचरोथी थतुं महिभागान सांभळीने हर्ष पामेला कुलपर्वत हजी पण ताजा फूटेला दर्भाकुरने मिषे रोमांच प्रगट करी रह्या छ ।' गोंदल जेना प्रत्येक चरणमां आठ चतुष्कल अने एक पंचकल होय, ते द्विपदीनुं नाम गोंदल । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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