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________________ [ 110 ] 'विकसेला नीलकमल जेवां नयनवाळी, चंद्र जेवा वदनवाळी, कमळ जेवा कोमल हाथवाळी तारी प्रिया, जो तो, शरदऋतुनी लक्ष्मी जेवी लागे छे ।' मारकृति जेना प्रत्येक चरणमां कां तो एक चतुर्मात्र, एक पंचमात्र अने एक द्विमात्र होय, अथवा तो बे चतुर्मात्र अने एक त्रिमात्र होय, ते सर्वसमा चतुष्पदीनुं नाम मारकृति छे । मारकृतिनुं उदाहरण : तुह मार 'मार - किदी', क- वि एह नवल्लिअ । दूरि सबाल - भल्लि, जं हिअडइ सल्लिअ ॥ १२३ 'हे कामदेव, तारुं आ मारणकार्य अपूर्व छे : ए बाळारूपी बाण दूर होवा छतां हृदय वधाई जाय छे ।' महानुभावा जेना प्रत्येक चरणमां एक षट्कल, एक चतुष्कल अने एक द्विकल होय, अथवा तो त्रण चतुष्कल होय, ते सर्वसमा चतुष्पदीनुं नाम महानुभावा छे । महानुभावानुं उदाहरण : जे अहिं न पर-दोस, गुणिहिं जि पयडिअ - तोस । ते जगि 'महाणुभावा', विरला सरल-सहावा ॥ १२४ 'जेओ बीजानो दोष जोता नथी, बीजाना गुणो प्रत्ये संतोष प्रगट करे छे, जे सरळ स्वभावना छे, तेवा महानुभावो आ जगतमां विरल होय छे ।' अप्सरोविलसित जेना प्रत्येक चरणमां एक षट्कल, एक चतुष्कल, एक त्रिकल होय, अथवा बे चतुष्कल अने एक पंचकल होय, अथवा तो बे पंचकल अने एक त्रिकल होय, ते सर्वसमा चतुष्पदीनुं नाम अप्सरोविलसित छे । अप्सरोविलसितनुं उदाहरण : पइं ससि वयणिए विब्भमि, हसिअ ' अच्छर- विलसिअ 'इं । भुमहि किउ पाइकर, मयणु मोहिअ - जण - माई ॥ १२५ 'हे चंद्रवदना, तें प्रेमोपचारमां करेला हास्यथी, अप्सरा जेवा विलासथी अने लोकोना मनने मोहित करती तारी भमरथी कामदेवने पगपाळा सैनिक जेवो बनावी दीधो छे ।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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