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[101] छे तेवी आ नवी वसंतलक्ष्मी संमोहन करवामां निपुण छे ।' मनोहरा
जेनां बेकी चरणोमां दस मात्रा छे अने एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे ते मनोहरा छंदनुं उदाहरण :
तुह गुण अणुदिणु सुमरंतिहि, विरह-करालिअहि । मयण-'मणोहर' तणु-अंगिहि, दय करि बालिअहि ॥९०
__ 'जे प्रत्येक दिवसे तारा गुणोनुं स्मरण करी रही छे तेवी आ विरहथी पीडित कृशांगी बाळा उपर, हे मदनसुंदर, तुं दया कर ।' आक्षिप्तिका
जेनां बेकी चरणोमां दस मात्रा छे अने एकी चरणोमां सोळ मात्रा छे ते आक्षिप्तिका छंद- उदाहरण :
हिंडइ सा धण जावँ गहिल्ली, विरहिण 'अक्खित्ती'। देक्खिवि वल्लहु ता आणंदी, जणु अमइण सित्ती ॥ ९१
'विहरथी व्यग्र ए प्रिया घेली बनीने भटकती हती । तेवामां पोताना प्रियतमने जोईने ते एवी आनंदित बनी गई, जाणे के तेना उपर अमृत छांट्युं होय !' किनरलीला
जेनां बेकी चरणोमां दस मात्रा छे अने एकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते किन्नरलीला छंदनुं उदाहरण :
ओ भड-कबंधु नच्चंतु समरि, असिपहर-तुट्टिण । 'किन्नर-लील' कलइ तुरय-सिरिण, तक्खण-चहुट्टिण ॥ ९२
'जो तो, समरांगणमां नाचता आ सुभटना धड उपर तलवारना घाथी कपायेलु घोडा, माथु चोंटी गयाथी ते सुभट किन्नरनी लीला दर्शावी रह्यो छे !'
नोंध :- आ प्रमाणे जेनां बेकी चरणोमां दस मात्रा छे तेवा सात पेटाप्रकारोनां उदाहरण थयां ।
हवे जेनां बेकी चरणोमां अगियार मात्रा छे तेवा पेटाप्रकारोनां उदाहरण । मकरध्वजहास
जेनां बेकी चरणोमां अगियार मात्रा छे अने एकी चरणोमां बार मात्रा छे ते मकरध्वजहास छंदनुं उदाहरण :
सो जलिअउ मयणग्गि, जु कुसुमिअउ पलासु । जा पप्फुल्लिअ मल्ली, सु 'मयरद्धय-हासु' ॥ ९३
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