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________________ गिहिधम्मे चंदसेणकहा गंतुं वेयड्ढम्मिं ससुरयपमुहा नरेसरा बहुया । पव्वाविया तहा ठाविया य अवरे उ गिहिधम्मे ॥ ८५४ ॥ आरोवियमन्नेसिं सम्मत्तं केवि भद्दगा विहिया । इय बहुवरिसाई तेण भव्वलोयस्स उवयरियं ॥ ८५५ ॥ नाउं नियाऊयं तं विहियाणसणो वियंभियसमाही | रईयपरमंतकिरिओ अंतगडो केवली जाओ ॥ ८५६ ॥ भज्जा वि चंदमाला संपावियकेवला गया मोक्खं । नियजोग्गयाए जायं सेसाण वि सग्गसिद्धिसुहं ॥ ८५७ ता राय ! देसविरई जह जाया चंदसेणनरवइणो । सुहया तह अवरस्स वि जायइ ता तीए उज्जमह ॥ ८५८ ॥ जो देसविरइधम्मे दिट्ठतो पुच्छिओ तए राय ! सो तुह कहिओ त्ति पयंपिडं ठिओ मुणिवई मोणे ।। ८५९ ।। पहु ! जह कहियं तुब्भेहिं तह वयं सव्वमवि करिस्सामो । अवरो वि उवेहिज्जइ न सुहत्थो किं पुणो धम्मो ? || ८६० ॥ इय भणिय सह सहाए उट्ठेउं नयगुरुक्कमो राया 1 आरुहिय गयं परिवारसंगओ भवणमणुपत्तो ॥ ८६१ ॥ कयकिच्चं अत्ताणं मन्नइ सद्धम्मलाहजोएण । संज्झासु तिसु वि जिणनाहमच्चए भत्तिसंत्तो ॥ ८६२ ॥ निच्चं पि नमइ गुरुपायपंकयं सरइ पंचपरमिठि । साहम्मियाण गोठि अणुट्ठए देइ दाणाई ॥ ८६३ ॥ नयरीए परिब्भमइ जिणरहरयणाई कयपयब्भमणो । बिंबाई पइट्ठावर सूरीहिं जिणालए काउं ॥ ८६४ ॥ एवंविह सव्वमायरणज्जियपरमपुन्नपब्भारो । अइवाहइ दिवसाई राया रायप्पहाकित्ती ॥ ८६५ ॥ अह अन्नया नरिंदो माणिक्कसहामहासणासीणो । विन्नत्तो पडिहारेण पणमिउं रईयकरकोसं ॥ ८६६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ६९ www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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