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सिरिअणंतजिणचरियं तं सोउं मुक्कसुहासणा वि कुमरी सुहासणे ठाइ । उवविट्ठासु सहीसु कहिउं लग्गो नरमऊरो || ८९१७ ॥ अत्थि गरिट्ठसुरट्ठा विसिट्ठवसुहा वयंससंकासं । वसुहा वयंसयं नाम नयरमइरम्मरमणियणं ॥ ८९१८ ॥ रयणावयंसयनिवो तं पालइ जो रणागयं पि रिउं । अस्सत्थमुभयहा वि हु मुंचइ अस्सत्थमवि सदओ ।। ८९१९ ।। तत्थ निवमाणणिज्जो पुज्जो पउराण पउरगुणभवणं ।। दीहरदिट्ठी सेट्ठी निवसइ नयवद्धणो नाम || ८९२० ॥ तस्सत्थि भाइपुत्तो सुरूववंतो धणावहो नाम । उवरयजणओ त्ति करेइ तस्स गुरुगोरवं सेट्ठी ॥ ८९२१ ॥ मुत्तूण नियंगरुहे वियरई वत्थाई तस्स परमंसो । अहव गरूयासयाणं अप्पपरवियारणा नत्थि ॥ ८९२२ ॥ परिणाविओ य उम्मीलमाणनवजोव्वणाभिरामतणु । धणसेट्ठिसुयं नामेण धणवई सीलकुलभवणं ॥ ८९२३ ॥ कइया वि हु असुहोदयवसओ सो सेट्ठिमाह मह ताय ! । वियरसु घरस्सिरीए अद्धं भिन्नो भविस्समहं ॥ ८९२४ ॥ तं सोऊण पयंपइ सेट्ठी किं वच्छ ! एवमुल्लवसि ? । तं मुत्तुं को अन्नो घरस्सिरी सामिओ कहसु ॥ ८९२५ ॥ अच्चब्भुयभोयअमाणदाणकज्जे धणव्वयं कुणसु । अणुकूलम्मि मए वच्छ ! तुज्झ को नाम पडिकूलो ॥ ८९२६ ।। अवरं च तमेगागी पडिवालसु जाव पुत्तउप्पत्तिं । नूणं जं न मुणेमो वियंभियं विहिविलासस्स ॥ ८९२७ ॥ ईय जंपिओ वि न मुयइ तग्गाहं तयणु ससुरयस्सावि । न कुणइ भणियमजोग्गाणऽहवा कत्तो गुणाहाणं ? || ८९२८ ॥ तो एगंते कंताए नीइजुत्ताए जंपिओ नाह ! । मा पेच्छसु अच्छीहिं हियएण सुदीहमिक्खेसु ॥ ८९२९ ॥
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