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सिरिअणंतजिणचरियं
ता चलसु तुमं मुत्तूण मंदिरे हमवि जामि सट्ठाणे । ईय जंपिय तमणुट्ठिय नहयरनाहो गओ सपुरे ॥ ८६३३ ॥ परिभाविय पुव्वभवप्पियाणुरायप्पइन्नकरणस्स । उम्मीलिओ महंतो अणुराओ रायतणयस्स || ८६३४ ॥ चिंतइ ते च्चिय धन्ना जेसिं नियवल्लहेहिं जुत्ताण । विविहविलासेहिं मुहुत्तमित्तमिव जंति दिवसाइं ॥ ८६३५ ॥ जह जाइ वल्लहजणे मणो तहा जइ तणू वि वच्चंती । ता नूण न हुंतं चिय कस्सइ तब्विरहविहुरत्तं ॥ ८६३६ ॥ नूणं जागरणाओ विरहीण वरं समेइ जइ निद्दा । जा दूइय व्व वल्लहसंजोगं कुणइ सहस त्ति ॥ ८६३७ ॥ कामुक्कलियाउ मणे नयणेसु अलद्धलक्खया जाया । दाहो देहे वल्लहअलाहओ तस्स चिंताए ॥ ८६३८ ॥ वल्लहविरहविणोयपारद्धहयाइकीलकिरियस्स । गच्छंति वासरा विरहियस्स कुमरस्स किच्छेण ॥ ८६३९ ॥ एत्थंतरम्मि पत्तो कुमरी पिउ पेसिओ महामंती । अत्थाणत्थं निवई नमिउं विन्नवइ विणएण ॥ ८६४० ॥ पहु ! मणिमंदिरनयरे पयावसारो त्ति नरवई अस्थि । दीवपहामलदेहा दीवपहाभिहसुया तस्स ॥ ८६४१ ॥ पत्ता केवलिपासं जाईसरणेण मुच्छिया बाला । निवपुच्छिएण कहिओ केवलिणा तीए पुव्वभवो ॥ ८६४२ ॥ ईय भणिय तेण सव्वं सवित्थरं साहियं नरिंदस्स ।। ता जा पुव्वभवुब्भवपिए कुमारेऽणुरत्ता सा ॥ ८६४३ ॥ भणियं च खयरवइणा विवाहिउँ पत्थियाए वि न तीए । पडिवन्नं तव्वयणं कुमरं पइ जायरायाए ॥ ८६४४ ॥ तुह तणयअलाहविओयदाहदझंतमणवणा बाला । लहइ न सुहलवमविजलिरजलणजालोलिकलिय व्व ॥ ८६४५ ॥
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