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सिरिअणंतजिणचरियं तो तेसिं पवंचई वियरइ सव्वेसिं कुसुमतंबोले । दूरे इयरे थद्धा वि हुंति दाणेणमणुकूला ॥ ८५०३ ॥ पुन्नं मह दुहियाए उवजाइयमेत्थ तो इमा पत्ता । "अवरावि पूयणिज्जा देवी सप्पच्चया किन्नों ? ॥ ८५०४ ॥ अज्ज इमाए तइज्जो उववासो आसि जं इमं भणियं । ता तुब्भे करुणाए एक्कमिमं चिय पवेसेह ॥ ८५०५ ॥ जइ अज्ज इमा अच्चइ न देवयं ता न भुंजए नूणं । ता मुत्तुमिमं एयाए जीवियव्वं पयच्छेह ॥ ८५०६ ॥ एत्थ ठियाओ वि अम्हे भत्तिं देवीए गीयनटेहिं । पयडिस्सामो पसिउं ता कुणह इमं ति तीयुत्तं ॥ ८५०७ ॥ तो ते दक्खिन्नदयाहिं पेरिया बिंति भइणि तं चेव । एक्का गंतुं पूइत्तु देवयं झ त्ति निग्गच्छ ॥ ८५०८ ॥ तं सोउं कंतिमई पूया पडलं करे कलेऊण । देवउलम्मि पविट्ठा ठिया अणुट्ठिय जुहुद्दिठं ॥ ८५०९ ॥ नच्चणगाणव्वग्गाण ताण रमणीण पासमणुपत्ता । कंतिमई नेवच्छप्पच्छाइयतणुलया असई ॥ ८५१० ॥ वज्जिरवद्धावणया वलिउं पत्ता पओलिदेसम्मि । रूवयअद्धं दाउं विसज्जिया तूरिया तुरयं ॥ ८५११ ॥ पहसंतीओ पविट्ठा पुट्ठाओ पउलिरक्खभडेहिं । किं नो वज्जइ तूरं पढइ इमं तो पवंचमई ॥ ८५१२ ॥ उट्टह तेत्तउ वज्जई जेत्तउं पोलिहिं बारु । "अइरुद्धोवि न रुद्धई स हुं परिणिए भत्तारु ॥ ८५१३ ॥ रायसमीवंगीकयपुन्नपइन्ना अईव सा तुट्ठा । थोवा वि कज्जसिद्धी तो सकए किं पुण न बहुया ? || ८५१४ ॥ पुरमज्झमागयाओ विसज्जए सा सहीओ सव्वाओ । "सिद्धप्पओयणाणिं किं कज्जं जणसमूहेण ? || ८५१५ ॥
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