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सिरिअणंतजिणचरि
नहयलचलिएण मए दिट्ठो सपिएण मासमेत्तवओ । कीरहरणुत्थपावोदएण तुह सो मए हरिओ ॥ ७७०३ ॥ पडिवन्नो पुत्तत्तेण नयणवेगो त्ति तयणु कयनामो । समयम्मि तस्स रज्जं दाउं दिक्खा मए गहिया ॥ ७७०४ ॥ नंदीसरवलिएण हरिया तुह कन्नया तओ तेण । अंबयभवसमुवज्जियसारसियाहरणपाववसा ॥ ७७०५ ॥ अट्ठारसघडियाहिं अट्ठार संवच्छराणि सुयविरहो । जाओ तह दिवसतिगं सुयाए सह अप्पपावेण ॥ ७७०६ ॥ ता सुमुणि ! कोउ उप्पाइयं पि इय दुक्खदायगं पावं । रागद्दोसवसकयं तं पुण वियरइ भवोहदुहं ॥ ७७०७ ॥ इय कहियं तुह चरियं तो रायरिसी वि जाइसरणेण । तं नाउमाह एवं जह पहु ! तुब्भेहिं कहियं ति ॥ ७७०८ ॥ नवदिक्खियमुणिजुत्तं नमिऊण गुरुं निवो कइ वि दिवसे । भोत्तुं खेयररज्जं रयणप्पायारमणुपत्तो ॥ ७७०९ ॥ नीईए तत्थ पालइ रज्जं भुंजइ पियाए सह भोए । निच्चं पि कुणइ तित्थप्पभावणं पूयइ जिणिंदे ॥ ७७१० ॥ दंडिप्पवेसिएणं कइया वि हु जणयमंतिणा राया । नमिउं विन्नत्तो देव ! तुह पिया गिण्हिही दिक्खं ॥ ७७११ ॥ रज्जारिहो त्ति केण इह णिज्जिही एस इय विभावेउं । पिउणावमाणिओ तं न चेव पहु ! रागदोसेहिं ॥ ७७१२ ॥ ता तुब्भे पिउरज्जस्सिरिमागंतुं अलंकरह पहुणो । कारणकयावमाणणविसए खेओ न जुत्तो जं ॥ ७७१३ ॥ तं निसुणिऊण सम्माणिऊण तं तेण संजुओ राया । तत्थ गओ पयपणओ पिउणा आलिंगिओ गाढं ॥ ७७१४ ॥ संभासिय ससिणेहं निवेसिओ नियपए तओ रन्ना । गीयत्थगुरुसयासे रिद्धीए कयं वयग्गहणं ॥ ७७१५ ॥
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