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सिंगारमउडकहा
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चलिया नरस्स पाणे उवयरियस्सा वि सीयकिरियाहिं । जीवंताणुवयारा फलंति न कया वि हु मयाण ॥ ७३५६ ॥ ठविउं सुहासणम्मि तो सो नीओ सासाय जणएण । खित्तो य चारुचंदणचारुज्जलिरे चिया चक्को ॥ ७३५७ ॥ दटुं नीरोयस्स वि मरणमकम्हा वि मंतिपुत्तस्स । नहयरवई वि चिंतइ हिययंतो जाव वेरग्गे ॥ ७३५८ ॥ पाहाणपइयस्स वि चिंतिज्जंतो न जस्सिह विणासो । एमेव सो विणट्ठो झड त्ति हद्धी भवविलासो ॥ ७३५९ ॥ जं सच्चविय अइविमलकेवलालोयलोयणजिणेहिं । वत्थूणमणिच्चयमेयमरणं उ तं फुडं जायं ॥ ७३६० ॥ आसारिवारिधारावरिसुट्ठियछुच्छुओ व संणेम्मं । अनिलचलचवललयाइदलचवलं जीवियव्वं पि || ७३६१ ॥ नवजोव्वणरमणीनयणतरलयं तुलइ सिरिपरिप्फुरियं । सारयसमयुब्मवअब्भविब्भमा जोव्वणस्स सिरी ॥ ७३६२ ॥ पिच्छणयं पेच्छणओ जह पेच्छामंडवे जणो मिलइ । अवरावरठाणाणं जाइ सठाणेसु तब्विरमे ॥ ७३६३ ॥ अन्नन्नगईहिंतो एगकुडंबम्मि इंति तह जीवा । ठाऊण कम वि कालं ते जंति निययज्जियगईसु ॥ ७३६४ ॥ अच्चन्मुयरूवा वि हु हवंति रोएहिं निस्सिरीयंगा । विउसा वि हुंति मुक्खा सोहग्गधरा वि दोहग्गा ॥ ७३६५ ॥ एवं अणिच्चया जइ भव-भववत्थुब्भवा भवइ चित्ते । ता न हवइ पडिबंधो वरवत्थुम्मि वि विवेईण ॥ ७३६६ ॥ उम्मत्तगयघडाओ तुरंगघट्टाई साउहायरहा । वावल्ल-भल्ल-सेल्लाइपहरणुड्डमरसुहडा वि ॥ ७३६७ ॥ तित्थयराणिंदाणं चक्कीण हरीण तह बलाणं पि । चमढिज्जंताण जमेवेण होइ सरणं न को वि धुवं ॥ ७३६८ ॥ (जुयलं)
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