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________________ ५७२ सिरिअणंतजिणचरियं वद्धावणयं बंधुररिद्धीए काराविऊण नरवइणा । सिविणयसमं कयं से नाम सिंगारतिलओ ति ॥ ७३४३ ॥ पालिज्जंतो पंचहिं धाईहिं पविद्धिउं समारद्धो । उवणीओ अज्झावयविंदस्स कलागहणकज्जो ॥ ७३४४ ॥ ताराओ व मयरहरे रूवसिरीओ व्व सम्मुहा य रसे । संकंताओ कलाओ सव्वाओ वि कुमरहिययम्मि ॥ ७३४५ ॥ नाऊण कलाकुसलं कुमरं अज्झावया महीवइणा । सम्माणिया विभूसण-सुवत्थ-धण-गाम-दाणेहिं ॥ ७३४६ ॥ कुमरस्स विइन्नाओ गोरी-पन्नत्तिपमुहविज्जाओ । तेणप्पसाहियाओ तस्साएसेण वटुंति ॥ ७३४७ ॥ दिवसो व्व दिणयरेणं निसिनहमग्गो व्व रयणिरमणेण । तरुणियणमणहरेणं वएण कुमरो अलंकरिओ ॥ ७३४८ ॥ परिणाविओ य निस्सीमरूवरम्माओ कणयवन्नाओ । विलसिरतारुन्नाओ नरिंदसामंतकन्नाओ ॥ ७३४९ ॥ ताहिं सह विविहकिलारसप्पसत्तस्स तस्स कुमरस्स । वच्चइ कालो पिउ-पाय-पंकयाराहणपरस्स ॥ ७३५० ॥ जोगो त्ति सुहे दियहे जुवरायपयम्मि ठाविओ पिउणा । दिन्ना कुमारभुत्तीए वेजयंती पुरी तस्स ॥ ७३५१ ॥ मंतिमहामइतणओ तणओ मइबंधुरो त्ति नामेण । कुमरस्स खयरवइणा विहिओ घरचिंतगत्तम्मि ॥ ७३५२ ॥ निय अंगलग्गवत्थाभरणेहिं अलंकिऊण नरवइणा । संसवणत्थं नयरीए वेजयंतीए आइट्ठो ॥ ७३५३ ॥ नमिय नहयरनरिंदं संचलिओ पहरिसप्पसक्खलिओ । उद्धट्ठियस्स सहस ति आगया सूलवेयणा से ॥ ७३५४ ॥ तो तप्पीडाभरविहुरियस्स वि गया झड त्ति पाणा से । पडिओ दड त्ति मणिकुट्टिमम्मि चेयन्नहीणो सो ॥ ७३५५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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