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सिंगारमउडकहा
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कुणह इमं ति पउत्ते पियाए राएण कंचुई पुट्ठो । को एस नरो बालो य होइ किमिमस्स कहसु ॥ ७२२६ ॥ सो आह नाह ! एसो धणेसरो उब्भग्गहा विसिट्ठवणी । आसी इमस्स कंता धणावली नाम रूववई ॥ ७२२७ ॥ हरिणाण व एयाणं हुंतो असमो सिणेहसंबंधो । नवरं सुयम्मि छम्मासिए मया देव ! एय पिया ॥ ७२२८ ॥ वल्लहकता पुत्तो त्ति जणणिरहिओ त्ति रूववंतो त्ति । अच्चंतवल्लहो एस बालओ तेणमेयस्स ॥ ७२२९ ॥ तं सोउमवणिवइणा कज्जेण गए धणेसरो गेहा । परिहरिय नायमग्गं अवगणिय विवेयसंसग्गं ॥ ७२३० ॥ उज्झित्तु कुलायारं अंगीकाउं अकित्तिपब्भारं । अणुसरिय पावकम्मं पविक्खिज्जिय सव्वहा धम्मं ॥ ७२३१ ॥ पयडीकाऊणं बालविलसियं गंजिकाऊणगरुयत्तं ।। पच्छन्न निउत्तनरेण झ त्ति आणाविओ बाला ॥ ७२३२ ॥ तव्वेयल्लनिरिक्खणकज्जे कंता जुओविओ राया । जावागओ धणेसरसेट्ठी न नियइ सुयं ताव ॥ ७२३३ ॥ आउच्चिओ धणरयणो न कहइ को वि हु सुयप्पउत्तिं पि । तो अनियंतो पुत्तं मुच्छाए महीयले पडिओ ॥ ७२३४ ॥ तयणु ससंभमधावियपरियणसिसिरोवयारकिरियाहिं । पाविय चेयन्नो मन्नुपूरिओ रुयइ अइकरुणं ॥ ७२३५ ॥ ताडइ सीसं तोडइ सिरोरुहे तह उवालंभइ देव्वं । वारं वारं निवडइ दड त्ति मुच्छाए महिवढे || ७२३६ ॥ जह जह मुच्छावत्थं पावइ सो सोयभरपरायत्तो । तह तह सकलत्तो वि हु रंजिज्जइ नरवई दूरं ॥ ७२३७ ॥ तो तं नरिंददुव्विलसियं ति हासाउ जाणिउं मंती । करुणाऊरियहियओ हियं निवं पइ पयंपेइ ॥ ७२३८ ॥
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