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तत्थासि सुनयरेहाविराइओ रायहंसकयसेवो । सल्लक्खणासिय पुरो सचक्कचंकमणकयसोहो ॥ ७२१३
सिरिअणंतजिणचरि
बहुसंखसुत्तिगाहासुपवित्तवियाररायमाणो य ।
कमलायरो व्व कमलायराभिहो नरवई सुहओ || ७२१४ ॥ (जुयलं)
तस्सासिसिरिनिवासा सहंसया परमपयपइट्ठा य ।
कमलावलि व्व विब्भमरसिया कमलावली कंता ॥ ७२१५ ॥
जीए तिव्वतरग्गे कामंकुसे धरंति करा ।
समओ वि नरिंदकरी कहन्नहा तव्वसे जाओ ।। ७२१६ ॥ तीए समविविहकीलारसप्पसत्तस्स तस्स भूवइणो । वच्चंति वासरासरयतरणितिव्वपयावस्स ।। ७२१७ ।। कइया वि महीनाहो मणिमंदिरमत्तवारणासीणो । नयरनिरिक्खिणनिक्खित्तनिययगुरुनेत्तसयवत्तो ॥ ७२१८ ॥ पेच्छइ समीवभवणे सिंगारविरायमाणनरमेगं । नवकमलकोमलंगं सुरूवदेहं समुवविद्धं ॥ ७२१९ ॥ उच्छंगगयं बालं नवरंभाखंभगब्भसुकुमालं । मोत्तियरयणाभरणालंकरियं वरिसदेसीयं ॥ ७२२० ॥ वारं वारं आलिंगिउं तयं महुरमम्मणुल्लावं । धुव्वंतं सरलवलच्छिजोन्हपरिसरे मुहमयंके ॥ ७२२१ ॥ अइबहुविसिट्ठकीलाहिं कीलयंतं तयं पलोएडं । नियडासणोवविट्ठा रन्ना कंता इमं वुत्ता ॥ ७२२२ ॥ पाणेहिं तो वि पिओ कस्सइ एयस्स पुत्तओ देवि ! जइ न नियइ पयमिमो ता मन्ने चयइ पाणे वि ॥ ७२२३ ॥ देवीए जंपियं होइ देव ! गाढो सया पिया नेहो । तग्गाढयरो पुण वल्लहप्पियावच्चसंभूओ ॥ ७२२५ ॥ रायाह देवि ! अवहरिय बालयं कोउयं पलोएमो । पुत्तं अपेच्छमाणो कमवत्थं पावइ इमो त्ति ॥ ७२२५ ॥
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