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________________ ५५२ इय जंपिउं पयाणयभेरिं दाऊण झ त्ति संचलिओ । सामंत - मंति- मंडलिय - मंडलावेढदुद्धरिसो ॥ ७०८४ ॥ रुपयवित्थुरियगुडागुडियाकरिणो नहेण संचलिया । सारयसमयसमुब्भवं ससिकिरणनियर व्व रेहंति ॥ ७०८५ || पसरंति तुरयासणीओ सयपक्खरविरायमाणाओ । गयणंगणगंगाजललसिरतरंगावलीओ व्व ॥ ७०८६ ॥ सिरिअणंतजिणचरियं चलिरद्धयालिखलहलिरघग्घरारणिरकिंकिणिकलावा | गच्छंति रहा जे उवमणिविमाणगुरुवेगं ॥ ७०८७ ॥ घणकसिणकसियकंकडरोमं विज्जंतजंतसुहडाण । तुट्टंत लोहकडया तडयडरावो समुल्लसइ ॥ ७०८८ ॥ इय चउरंगचमूचयवित्थारनिरुद्धरविकरप्पसरो । वेगेण वयइ राया तावं पुहईए हरिउं व ॥ ७०८९ ॥ वरनरनायारिनरिंदआगमो रयणकुंडलो वि निवो । करिहरिरहजोहविमाणवेढिओ झत्ति संचलिओ ॥ ७०९० ॥ सीमाए ताण दुन्ह वि बलाई जयलच्छिलालसमणाई । घडियाइं मच्छरुच्छाहसाहसा सत्तसुहडाई || ७०९१ || करिहरिरहचडिएहिं करिहरिरहसंठिया पडिक्खलिया । समपहरणसुहडेहिं समपहरणपडिभंडारुद्धा ॥ ७०९२ ॥ तो भल्ल - भल्लि - वावल्ल - सेल्ल - तीरी - तिसूल - सूलेहिं । अग्गिमबलाई पहरिउमारद्धाई असीहिं च ॥ ७०९३ ॥ चलगयघडघणमाले निवडिरसरधोरणीजलासारे । तरलियतरवारिपहा विप्फुरियतडिच्छडाडोए ॥ ७०९४ ॥ सियचिंधालंबद्धयभमिरवलायावलिकलीयसोहे | सत्थाहयनरपसरियरुहिरच्छडा इंदगोवगणे ॥ ७०९५ ॥ भूरितरवारिधारा कायरनासंतरायहंसोहे । वज्जिरढक्काबुक्का नीसाणाउज्झगज्जिरवे ॥ ७०९६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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