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रयणसुंदरका
मज्झमि वेइगाणं मंडलयचउक्कगेण अग्गिस्स । दिति प्पयाहिणाओ केण न सेविज्जइ पयावी ॥ ६७३४ ॥ बद्धो दुन्ह वि तेसिं गंठी उत्तरियपल्लवं तेहिं । अभिदंसिउं व पेम्मप्पबंधबंधो व्व लोयस्स ॥ ६७३५ ॥ कुमरी जुओ कुमारो उवविट्ठो आसणम्मि एक्कम । जेण विणा न तरिज्जइ ठाउं तं को कुणइ दूरे || ६७३६ ॥ अगणिय सगुणावगुणं अकलियसपरं नरिंदकुमरेहिं । सव्वत्तमेहिं वत्थाभरणेहिमलंकिओ लोगो ॥ ६७३७ ॥ एइ स अक्खयवत्तो जाइसमं कुंकुममुहो जुवइवग्गो । परिहाविउं निवं परिहिउं व तद्दिन्नवत्थाई ॥ ६७३८ ॥ मंगलमउ व्व सुहरसमउ व्व आणंदसारमईउ व्व । वीवाहमहो जाओ विलासकीला रसमउ व्व ॥ ६७३९ ॥ वित्ते वीवाहमहूसवम्मि सिंगारगारवग्घविओ । दिवसदसगावसाणे सुसरं मोयावियं कुमरो ।। ६७४० ॥ चलिओ चउरंगचमूचक्कसमक्कंतभूरिभूवढो । नवजोव्वणुव्वणंगीए संगओ कंतकंताए । ६७४१ ॥ लच्छी विलासराया पयाणयत्ति गमणुव्वइयकुमरं । वलिओ चलिओ य पुरो रायसुओ गुरुपयाणेहिं ॥ ६७४२ ।। गच्छंतो संपत्तो विउलाचलनामियं महाअडविं । सद्दूल - सीह-संबर-तरच्छ-भल्लुंकिभयजणयं ।। ६७४३ || गय-गवय-ससय-महिसय - तुरय - वराहय - मयप्पवयजुत्ता । जा कीर - हंस - सारस - भारुंड - सिंहंडि - सउणसिया ॥ ६७४४ ॥ जंबीर- निंब- अंबय-कयंब - कोसंब - उंबर - जंबुघणा । वाणंजणकरणासण-धव - धम्मणाछन्नगयणा जा ।। ६७४५ ॥ जा नागवेल्लि - कंकेल्लि - विल्ल - अंकुल्ल - सल्लई कलिया । अज्जुण - अरंज-वंजुल - करंज - खज्जूरि- सज्जजुया || ६७४६ ॥
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