SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 544
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रयणसुंदरकहा जुगमेत्तखेत्तनिक्खित्तनेत्तसंरक्खियाखिलसरीरी । अतुलियचवलं गोयरचरियत्थं गाममणुपत्तो ॥ ६६०५ ॥ मा महनिमित्तमीसरघरेसु होही अणेसणा विहिया । ता जामि दरिद्दिकुलेसु इय विचिंतिय कुणतो तं ॥ ६६०६ ॥ गामप्पवेसनियडे कुडीरए दुत्थियस्स थिमियगई । पविसियउ दुवारे रवितावुत्तत्तमुत्ती सो ॥ ६६०७ ॥ दिट्ठो य तेहिं असमप्पमोयपब्भारपुलईयंगेहिं ।। भत्तिब्भरप्पवत्तपवित्तअंसुजलसित्तगत्तेहिं ॥ ६६०८ ॥ घयसक्करावि मिस्सियमणुन्नपरमन्नपुन्नपत्ताई ।। उक्खिविय बिंति दोन्नि वि पुहु ! गिण्हसु सुद्धमन्नं ति ॥ ६६०९ ।। तो दव्वाइविसुद्धिचउव्विहं पि हु विभाविऊण मुणी । गिण्हइं तं जमकप्पं छुहिया वि न लिंति तं मुणिणो ॥ ६६१० ॥ तप्पत्तदुग्गाओ वि थोव-थोवमंगीकयं खवगमुणिणो । गिण्हंति सावसेसियदव्वं मुणिणो त्ति समयुत्ती ॥ ६६११ ॥ दहें चउमासखवगसाहुपरमन्नपारणयदाणं । जिणपवयणभत्तसुरेहिं सहरिसं भत्तिभरिएहिं ॥ ६६१२ ॥ उग्घुटुं गयणम्मि “अहो सुदाणं अहो सुदाणं" ति । गंधोदएण वुड्ठं च वाईया दुंदुहीओ य ॥ ६६१३ ॥ चेलुक्खेवो विहिओ सद्धदुवालससुवन्नकोडीओ । खित्ताओ पिंजरपहाभरअहरियविज्जुपुंजाओ ॥ ६६१४ ॥ सव्वुत्तमपत्तनिउत्तदाणपरिओसपोससुहिएहिं । तेहिं उ संतोसो गामारामे मुणी पत्तो ॥ ६६१५ ॥ इरियावहिया पडिक्कमणपुव्वमालोइऊणमाहारं । कयसज्झाओ वंदियजिणेसरो तयणु सो भुत्तो ॥ ६६१६ ॥ सव्वुत्तमपत्तनिउत्तदाणभावेणमज्जियं तेहिं । सुहजोगफलं कम्मं भवो परित्तीकओ तह य ॥ ६६१७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy