SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 532
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रयणसुंदर कहा इय तीए उव्वहंतीए गब्भपब्भारमसमतोसाए । पत्तम्मि पसवसमए जाओ सव्वुत्तमो पुत्तो ॥ ६४४९ ॥ तो पसवसमयसमणंतरं पि अहमहमिगाए गंतूण । वद्धाविओ नरिंदो दासीहिं सहासणासीणो ।। ६४५० ।। सुणिय सुयजम्मसमयुल्लसंतसंतोसरसवसो सामी । भूरिस्सिरिं पयच्छइ तासिं पीइप्पयाणम्मि ॥ ६४५१ ॥ आइसई य नयरम्मिं पडिहारमुहेण पुत्तजम्ममहं । सो पारद्धो पउरेहिं हिययसमुप्पन्नपुलएहिं ॥ ६४५२ ॥ तो रायमग्गरत्था-गोउर-तिय- चच्चराइठाणेसु । संमज्जिऊण दिन्नो कुंकुममयमयरसच्छडओ ॥ ६४५३ ।। खित्तो य कुंद - मचकुंद - जाइ सयवत्त- सहसपत्तेहिं । पुप्फप्पयरो पउरो परिमलपरिभमिरभमरउलो ॥ ६४५४ ॥ पडिनेत्तमेहडंबरजद्दरदेवंगदेवदूसेहिं । सव्वाए वि नयरीए पइयाओ हट्टसोहाओ ॥ ६४५५ ॥ नलियातोरणकलिया अनिलचउद्धयरणंतकिंकिणिया । विलसंतकणयकलसा भूरितरा संचिया मंचा || ६४५६ || चिंधालंबद्धयछत्तसिक्करीतोरणावलिसएहिं । पायारोलंकरिओ सगोउरो वि हु चउप्पासं ॥। ६४५७ ।। संतेउरा सपउरा नरिंद - सामंत - मंति - मंडलिया । विज्जिरवद्धावणया नच्चिरलीलावई विसरा ॥ ६४५८ ॥ आगंतुं अत्थाणे पणमिय उवणीयहरिकरिसिरीया । तुब्भे वद्धाविज्जह पुत्तुप्पत्तीए इय बिंति ॥ ६४५९ ।। गहिऊण निवो तदुवायणाई वियरइ य नाणदाणम्मि । करि तुरय- देस - उत्तम - वत्थाहरणाइयं बहुयं ॥ ६४६० ॥ अवलोयइ लउड्डारसरासया पेच्छणयनाडयाईए । हरिसिज्जंतो जत्थईय ताण दाणम्मि भूरिधणं ॥ ६४६१ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ५०३ www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy