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________________ ४८० सिरिअणंतजिणचरियं ता पडिवालह दिवसाइं पंच जह नज्जए पहुपउत्ती । विन्नाय कज्जमज्झा तयणु करेज्जाह जं उचियं ॥ ६१५२ ॥ इय जुत्तिजुत्तमुत्ता बुद्धिसहाएण चउरमइणा ते ।। तो निरसण च्चिय ठिया लोया सोयाउरा दूरं ॥ ६१५३ ॥ दुईय विव सावरन्हे नहेण मणिकिरणनियरदुनिरिक्खं । रविरहरयणं व विमाणमेगमइवेगमणुपत्तं ॥ ६१५४ ॥ तम्मज्झाओ राया, राया य चंकंतदंतपंतिपहो । नयरीजणदिन्नमहो, अवइन्नो सुरभुयालग्गो ॥ ६१५५ ॥ दिव्वाभरणालंकरियविग्गहो दिव्व-वत्थ-पावरणो । अत्थाणम्मि पविट्ठो हरि व्व सुररईयचाटुसओ ॥ ६१५६ ॥ उवविट्ठो सीहासणमलंकेउं फुरंतमणिकिरणं व । पणओ य पमुइएहिं अमच्चमंडलियपमुहेहिं ॥ ६१५७ ॥ अंतेउरं पमुइयं महायणो तो समागओ सव्वो । पउरा वि हरिसविसया जाया रायागमे जाए ॥ ६१५८ ॥ समज्जिऊण गंधोदएण सित्ता सुरा य रच्छासु । खित्तो कुसुमप्पयरो परिमलभरभमिरभमरतुलो ॥ ६१५९ ॥ पउरेहिं तोरणाई वधाई निययभवणदारेसु ।। घुसिणरसगोमुहेसुं रइया मुत्ताहलचउक्का ॥ ६१६० ॥ पडिमंदिरं पि गिज्जइ रायावज्जंतमंगलाउज्जे । मणिभूसणसिंगारियकुलवहुआओ य नच्चंति ॥ ६१६१ ।। तिय चच्चररच्छाइठाणेसु पुरीए संचिया मंचा । नलिया तोरणरम्मा वरवत्थुल्लोयसोहिल्ला || ६१६२ ॥ तालारस-लउडारस-नाडयपेच्छण-चच्चरिसयाई । पारद्धाइं पुरीए पहरिसओ तरुणरमणीहिं ॥ ६१६३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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