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सिरिअणंतजिणचरियं तीए सह विविहओहसविणोयवक्खित्तचित्तवित्तिस्स । समइक्कंतो कालो बहुओ रायाहिरायस्स ॥ ६०७४ ।। तं नत्थि तेण रन्ना न जमुवभुत्तं तवुब्भवं सोक्खं । नवरं नेगं चिय नंदणं न आलिंगणुब्भूयं ॥ ६०७५ ॥ तो रज्जसिरिभवं पि हु सुहं दुहं देइ तस्स भूवइणो । भोए भुयगे इव सो मन्नइ भूयं च आभरणं ॥ ६०७६ ॥ निव्वेयं उप्पायइ मयकिच्चं पिव महूसवदिणं पि । गीएण विलवएण व रन्नो अइदीणया होइ ॥ ६०७७ ॥ सुरसो वि हु आहारो अंतो निद्दहइ सन्निवाओ व्व । सिसिरो वि अंगराओ अणुभव्वइ तविरो तरणि व्व ॥ ६०७८ ॥ सुयचिंतावसववगयनिमेसं पि हु वियसियच्छिसयवत्तो । निच्चलतणूनरिंदो नज्जइ पाहाणघडिओ व्व ॥ ६०७९ ॥ पुत्ताणुप्पत्तिमहाहिभावणक्खणविलंबिउस्सासो । मुंचइ निवो समूहेण सासमासन्नकयतावं ॥ ६०८० ॥ न सरीरठिइमणुट्ठइ उवविट्ठो उठ्ठियं न उच्छहइ । चिट्ठई य सुन्नहियओ असुओ अवहरियसारो व्व ॥ ६०८१ ॥ निदं निसाए न लहइ वंछइ न छुहाए भोत्तुमाहारं । जरिओ व्व विरहिओ विव भूवो भूयाभिभूउ व्व ॥ ६०८२ ॥ एवमइक्कट्ठदसं पत्तो जंपइ पियं पुहइनाहो । मन्ने पयामणोरहमाला विहला पिए ! मज्झ ॥ ६०८३ ॥ पसुयत्तं पि कयत्थं दईए तं मह सयासओ मज्झे । जं जीहुल्लिहणाइयनेहं पयडइ अवच्चम्मि ॥ ६०८४ ॥ पसयच्छि पक्खिणो वि उ पत्तेकपयं समासओ मज्झ । जेऽवच्चाणं चूणिं दिति छुहमप्पणा सहिउं ॥ ६०८५ ॥ वरमहमजाईया वि हु पुरिसा सच्चविय पुत्तपडिपुत्ता । उत्तमकुलब्भवेहिं वि निरवच्चेहिं किभम्हेहिं ॥ ६०८६ ॥
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